पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने और भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) के साथ फिर से गठबंधन करने को लेकर अब तक कशमकश में हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ऐसे में उन्हें चुनौती दी है. उमर ने बुधवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र बीरवाह में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि महबूबा या तो सरकार बनाएं या फिर ताजा चुनाव के लिए तैयार रहें.
उमर अब्दुल्ला ने कहा, 'वो(पीडीपी) कहते हैं कि गठबंधन हैं. फिर वो कहते हैं कि गठबंधन टूटा नहीं है. वो दो तरह की भाषा बोल रहे हैं. महबूबा जी, सरकार बनाइए और अगर आपके पिता लोगों तक नहीं पहुंच सके तो आप उनतक पहुंचिए. अगर आप सरकार नहीं बनाना चाहती तो भगवान के लिए इस विधानसभा को भंग कीजिए और लोगों को फैसला करने दीजिए.'
अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी अपने दस महीनों के विफल कार्यकाल की वजह से राज्य में ताजा चुनावों से डरती है. उन्होंने कहा कि ये बात हैरान करने वाली है कि लोगों को पीडीपी-बीजेपी की सरकार के मुकाबले राज्यपाल के शासन के दौरान प्रशासन ज्यादा प्रभावी और असरदार लगा.
गौरतलब है कि 7 जनवरी को महबूबा के पिता और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया था. उसके बाद से महबूबा बाहर नहीं आई लेकिन गणतंत्र दिवस परेड में पहुंचीं.
उमर अब्दुल्ला ने 2008 से 2014 के बीच अपनी सरकार के कामकाज की तारीफ करते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के 28 विधायकों ने राज्य में बहुत काम किया. उन्होंने कहा कि पीडीपी के पास भी उतने ही विधायक हैं लेकिन उनके शासन में प्रदेश का हाल बेहाल हो गया है. अब्दुल्ला ने कहा, 'पीडीपी के विधायकों की संख्या भी उतनी है और आज यहां कुशासन, बेबसी और अव्यवस्था देखिए.'
जम्मू-कश्मीर में ताजा चुनाव कराने की वकालत करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी डरी हुई है. उन्होंने पीडीपी को चुनौती देते हुए कहा, 'पीडीपी सरकार नहीं बनाएगी लेकिन साथ ही गठबंधन भी नहीं करेगी क्योंकि वो चुनाव से डरते हैं. उन्हें पता है कि अगर जम्मू-कश्मीर में आज ताजा चुनाव कराए जाएं तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ही जीतेगी. नेशनल कॉन्फ्रेंस बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर सरकार बनाएगी. इसलिए वो चुनाव नहीं कराना चाहते.'
उमर ने कहा कि लोग पीडीपी की जानबूझ की जा रही इस देरी को बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने कहा, 'पिछले साल मुफ्ती साहब ने भी यही किया था. लेकिन उस वक्त हालात अलग थे. 2014 की बाढ़ के बाद लोग राहत और पुनर्वास का इंतजार कर रहे थे. जब मुफ्ती ने लोगों को इंतजार कराया तो वो बेचैन हो गए. लोग चाहते थे कि सरकार बने और जब बीजेपी-पीडीपी साथ आए तो लोगों ने विरोध नहीं किया. महबूबा भी आजकल इसी योजना पर काम कर रही हैं. उन्हें लगता है कि वो लोगों को इंतजार कराएंगी और लोग फिर से बेचैन होकर उन्हें किसी भी तरह सरकार बनाने के लिए कहेंगे.'
उमर ने कहा, 'इस तरह की तरकीब लोगों को दोबारा नहीं चलेगी.'