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ऑपरेशन ऑलआउट ने तोड़ा रिकॉर्ड, इस साल 226 आतंकी ढेर

इस साल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों ने कश्मीर के 178 स्थानीय युवाओं को बरगला कर उन्हें आतंकी तंज़ीमों में शामिल किया है.

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ऑपरेशन ऑल आउट (फोटो-Reuters)
ऑपरेशन ऑल आउट (फोटो-Reuters)

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पाकिस्तान में बैठे आतंक के पिछलग्गू भले ही ब्रेनवाश कर आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में भेज रहे हों पर उनका खात्मा भी लगातार हो रहा है. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक कश्मीर घाटी में इस साल ऑपरेशन ऑल आउट के तहत 226 आतंकवादियों को सुरक्षा बलों ने ढेर किया है. इससे पिछले साल का रिकॉर्ड टूट गया है. 2017 में 213 आतंकवादी ऑपरेशन ऑलआउट में मारे गए थे.

सुरक्षाबलों ने पिछले 72 घंटों में करीब 20 आतंकवादियों को मार गिराया है. हालांकि इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों के जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 25 नवंबर 2018 तक सुरक्षा बलों के 56 जवान शहीद हुए हैं. पिछले साल अलग अलग ऑपरेशन के दौरान 59 जवान शहीद हुए थे.

सूत्रों के मुताबिक इस साल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठनों ने कश्मीर के 178 स्थानीय युवाओं को बरगला कर उन्हें आतंकी तंज़ीमों में शामिल किया है. पिछले साल 128 स्थानीय युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती कराया गया था. बताया जा रहा है कि अक्टूबर में सबसे ज्यादा 33 स्थानीय युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए हैं.

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पाक अधिकृत कश्मीर में बैठकर आतंक के आका सोशल मीडिया और दूसरे अन्य माध्यमों से कश्मीरी युवाओं को बरगला कर उनको आतंक की आग में झोंकने की कोशिश में लगे रहते हैं. लेकिन उनके इन मंसूबों को सुरक्षा एजेंसियां कामयाब नहीं होने दे रही हैं.

सूत्रों ने बताया कि इस साल अक्टूबर और नवंबर में सबसे ज्यादा कश्मीर के स्थानीय युवा चरमपंथी संगठनों में शामिल हुए हैं. अक्टूबर में 33 स्थानीय युवाओं ने आतंक की राह पकड़ी. पिछले साल अक्टूबर में यह संख्या 10 थी.

सूत्रों के मुताबिक आतंकी कमांडरों के जनाजे में बड़ी संख्या में शामिल स्थानीय युवा आतंक की राह चुनते हैं. खुफिया एजेंसियों ने कुछ दिन पहले सरकार को ये रिपोर्ट दी थी कि आतंकी कमांडर ब्रेनवाश कर अलग-अलग आतंकी तंज़ीम में शामिल करने की कोशिश कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे जाने वाले युवाओं के जनाजों में आतंकी भर्ती का अभियान धड़ल्ले से चलता है. इस मुहिम को लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन और अल बद्र के कमांडर चला रहे हैं.

 

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