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पाकिस्‍तानी सैनिकों की करतूतों ने दिलाई सौरव कालिया की याद

एलओसी पर जिस तरह से दो जवानों के साथ क्रूरता बरती गई, शहीद सौरव कालिया की याद ताजा हो आई. करगिल के वक्त पाकिस्तान ने कैप्टन कालिया का क्षत-विक्षत शव भारत को सौंपा था.

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सौरव कालिया के पिता
सौरव कालिया के पिता

एलओसी पर जिस तरह से दो जवानों के साथ क्रूरता बरती गई, शहीद सौरव कालिया की याद ताजा हो आई. करगिल के वक्त पाकिस्तान ने कैप्टन कालिया का क्षत-विक्षत शव भारत को सौंपा था.
ज्यादा दिन नहीं गुजरे हैं. सरहद पार के इस मेहमान ने हमारे आंगन में घुसकर करगिल के शहीद का अपमान किया था.
भारत दौरे पर आए पाकिस्तानी गृह मंत्री ने कैप्टन सौरव कालिया पर आपत्तिजनक बयान देने के बाद भले ही बाद में अफसोस जता दिया हो लेकिन पाकिस्तान की हुकूमत भारतीय सेना के बारे में कैसी सोच रखती है, ये तो जाहिर हो ही गया था.
दरअसल एलओसी पर फायरिंग के बाद भारतीय सैनिकों के साथ जो वीभत्स बर्ताव किया गया है, उससे करगिल के शहीद सौरव कालिया की याद ताजा हो आई है. जाहिर है रहमान मलिक अपनी ही फौज की कायर और बर्बर हरकत पर मुहर नहीं लगा सकते लेकिन मंगलवार को एलोसी पर हुई घटना ने पड़ोसी की ना-पाक करतूत को फिर से बेपर्दा जरूर कर दिया है.
1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन सौरव कालिया को बंदी बनाकर प्रताड़ित किया और उनके क्षत-विक्षत शव को भारत को सौंप दिया था. सौरव कालिया के पिता अभी भी इस बेशर्म और अमानवीय हरकत के दोषियों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. पाकिस्तान ने कैप्टन कालिया के साथ जो बर्ताव किया, वो युद्धबंदियों को लेकर हुए जेनेवा समझौते का भी उल्लंघन है. लेकिन पड़ोसी अपनी कथनी और करनी में समानता नहीं रखता.
चमत्कार हो जाए अगर पाकिस्तान अपने कहे पर कायम होने लगे. न तो शहीद सौरव कालिया के मामले में और न ही एलओसी पर शहीद हुए इन दो जवानों की घटना में पाक अपनी ओर उंगली दिखाएगा. लेकिन पड़ोसी को सदबुद्धि आए इसके लिए हम क्या कदम उठाएंगे?

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