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‘अमरनाथ यात्रा में खलल डाल सकता है पाकिस्तान’

जम्मू कश्मीर सरकार ने आशंका जताई कि पाकिस्तान दो जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा पर बाधा डाल सकता है. जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह का कहना है कि जम्मू शहर में दो मंदिरों को अपवित्र किए जाने के पीछे माहौल को खराब करने का प्रयास हो सकता है. इसलिए लोग सतर्क रहें.

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जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह
जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह

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जम्मू कश्मीर सरकार ने आशंका जताई कि पाकिस्तान दो जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा पर बाधा डाल सकता है. जम्मू कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने कहा कि जम्मू शहर में दो मंदिरों को अपवित्र किए जाने के पीछे माहौल को खराब करने का प्रयास हो सकता है. इसलिए लोग सतर्क रहें.

हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां
डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने कहा, ‘पाकिस्तान, राष्ट्र विरोधी तत्व और आतंकवादी नहीं चाहेंगे कि यह अमरनाथ यात्रा सुचारू रूप से हो. वे निश्चित रूप से बाधा डालने की कोशिश करेंगे, लेकिन हम तैयार हैं और सभी पहलुओं पर विचार किया गया है. सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है.’ निर्मल सिंह जम्मू क्षेत्र में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे.

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सीमा पर प्रायोजित हो सकती हैं आतंकी घटनाएं
सिंह ने कहा, ‘विभिन्न एजेंसियां मामले में जांच कर रही हैं और सरकार स्थिति पर बारीकी से नजर रख रही है.’ यह पूछे जाने पर कि क्या यह आशंका है कि घटनाएं सीमा पार से प्रायोजित हो सकती हों, उन्होंने कहा कि इस प्रकार की बात से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान, आईएसआई या उनके इशारे पर यहां काम करने वाले लोग जम्मू में सांप्रदायिकता को हवा देने का प्रयास कर सकते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र हाल के सालों में अपेक्षाकृत शांत रहा है.

अनैतिक नहीं है कश्मीरी पंडितों के लिए अलग कॉलोनियां बनवाना
कश्मीरी पंडितों और पूर्व सैनिकों के लिए अलग कॉलोनियां स्थापित करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कॉलोनियां स्थापित करने में कुछ भी ‘अनैतिक’ नहीं है. उन्होंने कहा, 'कॉलोनी सिर्फ कश्मीरी पंडितों के लिए नहीं है. ये सभी विस्थापित लोगों के लिए है, जिनमें कश्मीरी पंडित, मुस्लिम प्रवासी, सिख और अन्य शामिल हैं. हम उन्हें ऐसे क्षेत्रों में नहीं धकेल सकते, जहां उन्हें उसी स्थिति का सामना करना पड़े जो 25 साल पहले थी.’

सैनिक कॉलोनी के लिए तलाश रहे जमीन
डिप्टी सीएम ने कहा, ‘जहां तक सैनिक कॉलोनी का सवाल है, यह मांग देश के अन्य हिस्सों के पूर्व सैनिकों की ओर से नहीं आया है. मुझे बताया गया है कि करीब पांच हजार पूर्व सैनिक कश्मीर में रह रहे हैं और अगर मीडिया, शिक्षक, नौकरशाह कॉलोनियों के लिए कह सकते हैं, तो मैं समझता हूं कि पूर्व सैनिकों की ओर से ऐसी कॉलोनी की मांग अवैध या अनैतिक नहीं है.’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कॉलोनी के लिए सरकार को अभी जमीन की तलाश करनी है.

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