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पैलेट गन के विकल्प के तौर पर पावा शेल्स को हरी झंडी

कश्मीर घाटी में जारी हिंसा के बीच विवाद का विषय बनी पैलेट गन का विकल्प सरकार को मिल गया है. गृह मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने पैलेट गन के विकल्प के तौर पर पावा शेल्स को हरी झंडी दिखाई है.

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पैलेट गन
पैलेट गन

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कश्मीर घाटी में जारी हिंसा के बीच विवाद का विषय बनी पैलेट गन का विकल्प सरकार को मिल गया है. गृह मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने पैलेट गन के विकल्प के तौर पर पावा शेल्स को हरी झंडी दिखाई है. आईये ये समझने की कोशिश करते हैं कि पैलेट गन का विकल्प पावा शेल कैसे काम करता है और ये कैसे अलग है पैलेट गन से.

पैलेट गन की जगह होगा पावा शेल का इस्तेमाल
कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर उपजा विवाद आने वाले समय में सुलझ सकता है. गृह मंत्रालय के एक एक्सपर्ट पैनल ने पैलेट गन की जगह नए डेवेलप किए गए पावा शेल्स के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है. पावा शेल मिर्ची के गोले हैं जिससे टारगेट को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता है. इन गोलों को किसी टारगेट पर दागे जाने के कुछ मिनटों के लिए एकदम स्थिर हो जाता है.

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पैलट गन का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण करने के लिए होता है
पत्थरबाज प्रदर्शनकारियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सेना घाटी में पैलेट गन का इस्तेमाल कर रही है. पैलेट गन में छोटे-छोटे छर्रे होते हैं, जो टारगेट के शरीर में जाकर चुभ जाते हैं. पैलेट गन से सुरक्षाबल  बेकाबू भीड़ को नियंत्रण करते है.  इस गन के इस्तेमाल के बाद ऐसे  मामले सामने आए हैं.  जिनमें घायलों ने अपनी आंखों की रोशनी तक खो दिया. घाटी में 2010 के बाद पहली बार इस तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं. साल 2010 में हुई हिंसा में 100 लोगों की मौत हुई थी. पैलेट गन का पहली बार इस्तेमाल उसी दौरान हुआ था. पेलेट से घायल हुए लोगों के घाव भरने में लंबा समय लगता है और निशान रह जाते हैं. कई बार पैलेट गन के कारण हुए गहरे घावों की सर्जरी तक करनी पड़ती है.

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पैलेट गन के विकल्प की बात कही
जम्मू-कश्मीर दौरे पर गए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दो-तीन दिनों के भीतर ही विवादित पैलेट गन का विकल्प देने की बात कही, और एक्सपर्ट कमेटी मिर्ची के इन गोलों को विकल्प के तौर पर देख रही है. हालांकि अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय के कुछ अधिकारियों, BSF,CRPF,J&K पुलिस, IIT-दिल्ली और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के 7 सदस्यों वाली कमेटी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए कोई विकल्प तलाश रही है. पैनल जल्द ही एक रिपोर्ट पेश करेगा. इन शेल्स को सायंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के तहत लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टॉक्सिकॉलजी रिसर्च ने डेवेलप किया था.

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एक साल से पावा गोलो का ट्रायल चल रहा है
अधिकारियों ने बताया कि पावा गोले IITR में एक साल से भी ज्यादा समय से ट्रायल में हैं और जब जम्मू उबल रहा है तब इस तकनीक को यूज किया जाएगा. PAVA यानी पेलागॉर्निक एसिड वनीलल अमाइड को नॉनिवमाइड के नाम से भी जाना जाता है. यह प्राकृतिक काली मिर्च में पाया जाने वाला कार्बनिक यौगिक है. इसका प्रयोग किसी व्यक्ति को कुछ समय के लिए परेशान कर सकता है और वह थोड़ी देर तक कुछ न कर पाने की हालत में जा सकता है. इससे ज्यादा ये गोले हानि नहीं पहुंचाते

पावा शेल्स कम घातक है
ऐसा माना जा रहा है कि पावा शेल्स पेलेट गन के मुकाबले बहुत कम घातक है लेकिन असरदार उतना ही है. एक बार दागे जाने पर यह टारगेट को आंसू गैस से भी असरदार तरीके से कुछ समय के लिए परेशान कर देता है. BSF के TSU द्वारा बनाया गया स्टन ग्रेनेड भी एक विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. यह टारगेट को बेहोश कर देता है और कुछ मिनट के लिए अंधा कर देता है.

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