जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद से ही सरकार निर्माण को लेकर सियासी सूरत और सीरत दोनों स्पष्ट नहीं है. पीडीपी-बीजेपी गठबंधन की डोर बीते कुछ हफ्तों में सुलझने की बजाय और उलझती हुई नजर आ रही है, वहीं इस बीच पीडीपी के वरिष्ठ नेता तारिक हमीद कारा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से करते हुए कहा वाजपेयी जहां हाथ थामने में विश्वास रखते थे, मोदी का तरीका हाथ मरोड़ने का है.
श्रीनगर से सांसद तारिक हामीद कारा ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा, 'बीजेपी और मोदी, दोनों ही ना तो कश्मीरियों की मानसिकता और ना ही कश्मीर की समस्या की जड़ में जो है, उसे समझ पा रहे हैं. मोदी 'मॉर्डन डे अलेक्जेंडर द ग्रेट' की तरह व्यवहार कर रहे हैं जो ताकत के बल पर लोगों का दिलोदिमाग जीतना चाहता है.'
मोदी के राष्ट्रहित नहीं पार्टी का हित ऊपर
पीडीपी नेता ने कहा कि वाजपेयी का सिद्धांत हाथ थामने का था, जबकि मोदी हाथ मरोड़ने में विश्वास रखते हैं. कारा ने कहा कि यह नीति जम्मू-कश्मीर में काम नहीं कर सकती. कश्मीरी इसके खिलाफ लड़ेंगे. कारा ने कहा कि मोदी के लिए पार्टी का हित सबसे ऊपर है, जबकि वाजपेयी के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरी था.
राज्य में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन के भविष्य को लेकर किए गए सवाल पर उन्होंने कहा, 'इसे तीन स्तर पर सुलझाया जा सकता है. शासन का अजेंडा, सरकार का कामकाज और कश्मीर के मूल मुद्दे. मुझे लगता है कि जिन बातों पर सहमति बनी थी, वे लागू नहीं हुए और जो नहीं किया जाना था, वही हुआ.'
उठाए गए गैर-जरूरी मुद्दे
कारा ने कहा, 'पहले ही दिन पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने आर्टिकल 370 का मुद्दा उछाल दिया. बाद में धारा 370 के खिलाफ पीआईएल भी दाखिल कर दी गई. फिर आर्टिकल 335(ए) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई. उसके बाद झंडे और बीफ आदि से जुड़े मुद्दे आए. यह सभी चीजें नहीं होनी चाहिए थीं, लेकिन हुईं.