जम्मू कश्मीर की नवनिर्वाचित बीजेपी समर्थित पीडीपी सरकार ने एक दूसरे विवादित मुद्दे को उठा दिया है. मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार ने केंद्र सरकार से संसद हमले के गुनहगार अफजल गुरू के अवशेष सौंपने की मांग की है. पीडीपी सरकार की इस मांग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने फिलहाल कोई सीधा जवाब नहीं दिया है, हालांकि बीजेपी विधायकों की ओर से विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए और भगवा पार्टी के विधायकों ने परंपरानुसार अफजल गुरू को देश विरोधी ठहराया है.
पीडीपी के आठ विधायकों ने इस संबंध में बयान जारी कर कहा कि पार्टी अफजल के अवशेषों की वापसी के लिए पूरी ताकत से लगे रहने का वादा करती है. गुरू को नौ फरवरी, 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी.
पीडीपी के बयान के अनुसार, 'पीडीपी गुरू के अवशेष वापस करने की अपनी मांग पर कायम है और पार्टी अवशेषों की वापसी के लिए पूरी ताकत से लगे रहने का वादा करती है.' बयान पर हस्ताक्षर करने वाले विधायकों में मोहम्मद खलील, जहूर अहमद मीर, रजा मंजूर अहमद, मोहम्मद अबास वानी, यावर दिलावर मीर, वकील मोहम्मद यूसुफ, एजाज अहमद मीर और नूर मोहम्मद शेख हैं.
बयान के मुताबिक, 'पीडीपी ने हमेशा कहा है कि अफजल गुरू को फांसी पर लटकाना न्याय का मजाक था और उसे फांसी देने में संवैधानिक जरूरतों और प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.'
पीडीपी विधायकों के अनुसार, 'हमारा मानना है कि निर्दलीय विधायक राशिद अहमद का अफजल गुरू के लिए क्षमादान का प्रस्ताव जायज था और सदन को उस समय इसे स्वीकार कर लेना चाहिए था.' साल 2011 में इस बाबत एक प्रस्ताव पर जम्मू कश्मीर विधानसभा में हंगामे के चलते चर्चा नहीं हो सकी थी.
यह प्रस्ताव बाद में निष्प्रभावी हो गया, क्योंकि नियमों के अनुसार सदन में सूचीबद्ध किसी कार्य पर चर्चा नहीं होने पर वह निष्प्रभावी हो जाता है.
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के ठीक बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में बेहतर माहौल के लिए पाकिस्तान, आतंकियों और हुर्रियत को श्रेय दिया था. मुफ्ती के बयान के बाद विरोधी पार्टियों ने विरोध करते हुए बीजेपी से जवाब मांगा. काफी हंगामे के बाद बीजेपी ने मुफ्ती के बयान से खुद को अलग कर लिया.
इससे पहले सोमवार को लोकसभा में विपक्षियों पार्टियों ने प्रधानमंत्री से इस मसले पर बयान देने की मांग की.
- इनपुट भाषा