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1 मार्च को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे मुफ्ती मोहम्मद सईद

पीडीपी और बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने के लिए अपने मतभेदों को दूर कर लिया है और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गई है. पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद आगामी रविवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

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अमित शाह और महबूबा मुफ्ती
अमित शाह और महबूबा मुफ्ती

पीडीपी और बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने के लिए अपने मतभेदों को दूर कर लिया है और साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गई है. पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद आगामी रविवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

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पीडीपी के संस्थापक सईद गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचे और शुक्रवार को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. दोनों नेताओं की मुलाकात सईद के जम्मू-कश्मीर का फिर से मुख्यमंत्री बनने की दिशा में आखिरी कदम होगा. इसके साथ ही बीजेपी इस संवेदनशील राज्य में पहली बार सत्ता में साझेदारी करेगी.

पीडीपी के संरक्षक ने यहां पहुंचने पर कहा कि साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर सहमति बन गई है और अब वह शुक्रवार को प्रधानमंत्री से मुलाकात करने जा रहे हैं.

सईद ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 जैसे विवादास्पद मुद्दों पर सहमति के बारे में बात करने से इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘मैं इन मुद्दों पर बातचीत नहीं करूंगा. यह (साझा न्यूनतम कार्यक्रम) लिखित में सामने आएगा और देश की संपूर्ण जनता देखेगी कि हम क्या कर रहे हैं.

माना जा रहा है कि सईद जम्मू में आयोजित होने वाले शपथ ग्रहण समारोह के लिए प्रधानमंत्री को आमंत्रित करेंगे.

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सईद और मोदी की मुलाकात से पहले पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को यहां मुलाकात की और राज्य में गठबंधन सरकार के बारे में घोषणा की थी. उस मुलाकात के बाद शाह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर का गौरव बहाल होगा और बीजेपी-पीडीपी सरकार सुशासन और विकास को सुनिश्चित करते हुए राज्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.

सईद मुख्यमंत्री होने के साथ ही गृह विभाग की जिम्मेदारी भी संभालेंगे. 1953 में पारंपरिक रूप से यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही होता रहा है. बीजेपी के निर्मल सिंह उप मुख्यमंत्री बन सकते हैं तथा उनके पास योजना विभाग होगा.

बीते 23 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे. किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. 28 विधायकों के साथ पीडीपी सबसे बड़ी और 25 विधायकों के साथ बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस 12 सीटें मिली थीं.

इनपुट-भाषा

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