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बिट्टा कराटे के खिलाफ केस खोलने की मांग, 16 अप्रैल को अगली सुनवाई

जम्मू कश्मीर में हत्याओं के आरोपी रहे बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज केस फिर खोल जा सकते हैं. दरअसल, श्रीनगर की कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, इसमें बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज केस वापस खोलने की मांग की गई है. अब इस मामले में 16 अप्रैल को सुनवाई होगी.

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बिट्टा कराटे (फाइल फोटो)
बिट्टा कराटे (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बिट्टा कराटे पर कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप
  • बिट्टा कराटे ने खुद कबूली थी कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात

जम्मू कश्मीर में हत्याओं के आरोपी रहे आतंकी बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज केस वापस खोलने की मांग को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पीड़ित सतीश टिक्कू के परिवार से याचिका की हार्ड कॉपी दाखिल करने के लिए कहा है. इतना ही नहीं कोर्ट ने बिट्टा कराटे के वकील से भी हार्ड कॉपी प्रस्ताव दाखिल करने के लिए कहा है. इस मामले में 16 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी. 

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कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के 31 साल बाद बिट्टा कराटे के खिलाफ दायर केस दोबारा खोलने की मांग की गई है. दरअसल, श्रीनगर की कोर्ट में पीड़ित सतीश टिक्कू के परिवार ने याचिका दायर की है. वकील उत्सव बैंस टिक्कू के परिवार की ओर से पक्ष रख रहे हैं. 

बिट्टा कराटे ने कबूली थी कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात

बिट्टा कराटे अलगाववादी नेता है, कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या और आतंकवाद से संबंधित आरोपों में जेल में डाला गया था. एक इंटरव्यू में बिट्टा ने खुद 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या करने की बात कबूली थी. बिट्टा कराटे ने कहा था कि उसने 20 कश्मीरी पंडितों का मर्डर किया था. साल 1991 में दिए इंटरव्यू में बिट्टा कहता है कि अगर उसे अपनी मां या भाई का कत्ल करने का आदेश भी मिलता तो वह उनकी भी हत्या करने से नहीं हिचकता. बिट्टा ये भी बताता है कि कैसे उसने 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से घाटी में कत्लेआम का सिलिसला शुरू किया था. 

बिट्टा को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत भी गिरफ्तार किया गया था. बिट्टा पर 19 से अधिक उग्रवाद से संबंधित मामले थे. 2008 में अमरनाथ विवाद के दौरान भी उसे गिरफ्तार किया गया था. बिट्टा मार्शल आर्ट में ट्रेंड था, इसलिए उसके नाम के आखिर में लोग कराटे लगाने लगे. बिट्टा कराटे ने करीब 16 साल सलाखों के पीछे बिताए, आखिर में 23 अक्टूबर, 2006 को टाडा अदालत ने उसे जमानत पर रिहा कर दिया.

डीजीपी ने भी दिए थे केस खोलने के संकेत

इससे पहले जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने यासीन मलिक और बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज केस खोलने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि हम जम्मू कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ दर्ज मामलों में जांच करेंगे. किसी भी आतंकी को छोड़ा नहीं जाएगा.

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