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पुंछ हमले में मिली स्थानीय मदद, स्टील कोटेड गोलियों और आईईडी का हुआ इस्तेमाल - डीजीपी दिलबाग सिंह

डीजीपी दिलबाग सिंह ने पुंछ हमले को लेकर कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं. उन्होंने कहा कि सक्रिय स्थानीय सहयोग से यह अटैक किया गया. सेना के वाहन को उड़ाने के लिए आईईडी का इस्तेमाल किया गया. आतंकियों को हथियारों और कैश की सप्लाई ड्रोन हथियारों के जरिये की गई थी. 12 संदिग्धों को गिरफ्तार कर 200 से ज्यादा सवाल पूछे गए हैं.

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आतंकियों को सेना के वाहन की लोकेशन और स्पीड की थी जानकारी.
आतंकियों को सेना के वाहन की लोकेशन और स्पीड की थी जानकारी.

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने शुक्रवार को पुंछ में सेना पर हुए हमले को लेकर कई अहम बातें कही हैं. उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल को पुंछ के भाटा दुरियां इलाके में हुए हमले में पांच सैनिक मारे गए थे. सक्रिय स्थानीय सहयोग से इस वारदात को अंजाम दिया गया था. 

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सेना के जवानों पर हमला करने के लिए आतंकवादियों ने स्टील की परत वाली कवच-भेदी गोलियां दागी थीं. साथ ही अधिकतम नुकसान पहुंचाने के लिए सेना के वाहन को निशाना बनाने के लिए आईईडी का भी इस्तेमाल किया गया था. 

स्थानीय सहयोग के बिना ऐसे हमले मुमकिन नहीं

उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के ठिकानों का पता लगाने के लिए सघन तलाशी शुरू की गई है. शुरुआती जांच से पता चला है कि राजौरी-पुंछ इलाके में नौ से 12 विदेशी आतंकवादी सक्रिय हो सकते हैं, जिन्होंने हाल ही में घुसपैठ की होगी. 

राजौरी जिले के दरहल इलाके में चल रहे तलाशी अभियान का जायजा लेने के बाद डीजीपी सिंह ने पत्रकारों से बात की. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों के सक्रिय सहयोग के बिना पुंछ में किए गए हमले जैसी घटनाएं नहीं की जा सकती हैं. 

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आतंकियों को मिली थी पनाह, ठीक से की थी रेकी

आतंकियों को एक जगह पनाह दी गई और फिर दूसरी जगह हमले को अंजाम देने के लिए ट्रांसपोर्ट मुहैया कराया गया. आतंकवादियों ने क्षेत्र की रेकी की थी. बारिश के बावजूद वे सेना के वाहन को निशाना बनाने में सफल रहे, जो अंधा मोड़ होने के कारण बहुत धीमी रफ्तार से चल रहा था. हमलावरों को वाहन की जगह और उसकी स्पीड की जानकारी थी।

स्टील कोटेड गोलियों और आईईडी का इस्तेमाल  

डीजीपी ने कहा कि आतंकवादी ने सेना के वाहन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए स्टील कोटेड कवच-भेदी गोलियों और आईईडी का इस्तेमाल किया. ढांगरी, राजौरी हमले में उन्हीं गोलियों का इस्तेमाल किया गया था. पुंछ हमला एक वन क्षेत्र के पास किया गया था. 

जंगल में छिपने के प्राकृतिक ठिकानों का लगा रहे हैं पता  

शुरुआती जांच से पता चलता है कि आतंकवादियों ने जंगल में प्राकृतिक ठिकानों का इस्तेमाल किया होगा. हम उन ठिकानों की पहचान कर रहे हैं, जिनका इस्तेमाल हमलावरों ने हमले से पहले किया होगा. 

हमलावरों को पकड़ने के लिए सघन तलाशी अभियान जारी है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हाल के हमले में शामिल आतंकवादियों के समूह को दो भागों में बांटा जा सकता है. उनकी संख्या नौ से बारह के बीच रही होगी. 

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12 संदिग्धों से की जा रही है पूछताछ  

स्थानीय समर्थन के बारे में उन्होंने बताया कि गुरसई गांव का रहने वाला निसार अहमद पहले से ही पुलिस की संदिग्ध सूची में था. वह 1990 से आतंकवादियों का सक्रिय ओजीडब्ल्यू रहा है. अतीत में उससे कई बार पूछताछ की गई थी. 

इस बार सबूतों की पुष्टि करने के बाद पता चला है कि उसने पुंछ हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों को रसद और अन्य मदद पहुंचाई. उसकी गिरफ्तारी इस मामले में अहम है. डीजीपी ने कहा कि निसार का परिवार भी आतंकवादियों की सहायता करने में शामिल है. अभी तक 12 संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है. उनसे अब तक 200 से ज्यादा सवाल पूछे गए हैं. 

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