कश्मीर घाटी से अनुच्छेद-370 हटने के बाद भी वहां शांति बनी हुई है. इस अमन बहाली से आतंकी संगठन बुरी तरह से बौखला गए हैं. सुरक्षाबलों की सतर्कता, समन्वय और सुरक्षा एजेंसियों के बेहतर तालमेल से घाटी में आतंकी घटनाओं पर काफी लगाम लगा है. लगातार चलाए गए ऑपरेशंस से आतंकियों को पनाह देने वालों की भी कमर टूटी है. आतंकी संगठनों के कई बड़े कमांडर मार गिराए गए हैं. लेकिन, हताश आतंकी संगठन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. 20 अप्रैल को पुंछ में हुआ आतंकी हमला इसकी तस्दीक करता है. इस हमले में सेना के पांच जवान शहीद हो गए हैं, जबकि एक घायल है.
दरअसल, भारत इस साल जी-20 समिट की अध्यक्षता कर रहा है. इसके तहत अलग-अलग जगह बैठकें होनी हैं. इसमें दो बैठकें श्रीनगर और लद्दाख के लेह में होंगी. लेह में 26 से 28 अप्रैल और श्रीनगर में 22 से 24 मई को बैठक होनी है. इस बैठक से पहले हमला करके आतंकी संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं. इन दोनों बैठकों को लेकर पाकिस्तान आपत्ति भी जता चुका है. हालांकि, भारत ने पाकिस्तान की आपत्ति को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि जम्मू-कश्मीर और लेह भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा हैं.
आतंकियों की साजिश और पाकिस्तान की आपत्ति में समानता
यहां गौर करने वाली बात ये है कि आतंकियों की साजिश और पाकिस्तान की आपत्ति में काफी समानता है. हमले को अंजाम देकर आतंकी ये संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर घाटी में हालात सामान्य नहीं हैं. ठीक कुछ ऐसा ही पाकिस्तान भी साबित करना चाहता है. उसका कहना है कि इन बैठकों के आयोजन से जम्मू-कश्मीर की वास्तविकता नहीं छुप सकती.
अहम बात ये है कि कश्मीर में मात खाने और घुसपैठ में कामयाब न होने के बाद अब आतंकी जम्मू संभाग की सीमाओं से घुसपैठ कर केंद्र शासित प्रदेश को दहलाने की साजिश रच रहे हैं. गुरुवार को आतंकियों ने ऐसी ही साजिश को अंजाम दिया और हाइवे से गुजर रहे सेना के वाहन को निशाना बनाकर ग्रेनेड दागे और फायरिंग की.
इस हमले में राष्ट्रीय राइफल्स के पांच जवान शहीद हो गए, जबकि एक घायल हुआ है. शहीद हुए जवानों में हवलदार मनदीप सिंह, सिपाही हरकिशन सिंह, लांस नायक कुलवंत सिंह और सिपाही सेवक सिंह पंजाब के रहने वाले थे, जबकि लांस नायक देबाशीष उड़ीसा के निवासी थे.
बारिश और लो विजिबिलिटी का फायदा उठाकर आतंकियों ने किया हमला
सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने बताया कि दोपहर करीब तीन बजे बारिश और लो विजिबिलिटी का फायदा उठाकर आतंकियों ने सेना के वाहन पर गोलीबारी की. साथ ही ग्रेनेड भी दागे, इससे वाहन में आग लग गई. हमले में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन के लिए तैनात राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के पांच जवानों ने जान गंवा दी. आतंकियों की तलाश में ऑपरेशन चल रहा है.
कश्मीर में मात खाने के बाद आतंकी संगठनों ने रची ये साजिश
अब बात करते हैं घाटी में मात खाए आतंकियों के जम्मू संभाग की सीमा से घुसपैठ की साजिशों व हमलों की. इसी साल एक जनवरी को जम्मू संभाग के सांबा जिले में रेलवे स्टेशन के पास रेलवे लाइन से 150 मीटर दूर एक पुराना मोर्टार मिला था. 1 जनवरी को ही राजौरी तहसील के धनगरी गांव में दीपक कुमार, सतीश कुमार, प्रीतम लाल और शिव पाल की हत्या कर दी गई थी. इस हमले में सात अन्य नागरिक घायल भी हुए थे.
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इसके बाद 8 जनवरी को सुरक्षा बलों ने राजौरी जिले में एक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बरादम किया था. आतंकियों ने जिले के बुधाल ब्लॉक के दंडोटे गांव में इसे प्लांट किया था. इसी दिन पुंछ जिले के बालाकोट सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारतीय सेना ने दो घुसपैठियों को मार गिराया गया था. इस दौरान भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुआ था.
15 जनवरी को सुरक्षा बलों ने पुंछ जिले के सिंदारा गांव के पास सुरनकोट सेक्टर में एक आतंकवादी ठिकाने का पता लगाया था. यहां से तीन एके सीरीज की राइफल, तीन मैगजीन, 10 ग्रेनेड भी बरामद किए थे. 18 जनवरी राजौरी जिले की राजौरी तहसील के खेओरा गांव से आईईडी बरामद किया गया था. 21 जनवरी को जम्मू जिले के नरवाल क्षेत्र के ट्रांसपोर्ट नगर में टाइमर-फिटेड आईईडी ब्लास्ट किया गया था. इसमें नौ नागरिक घायल हुए थे.
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इसके बाद 9 फरवरी को पुंछ जिले में सर्च ऑपरेशन के दौरान 18 ग्रेनेड बरामद हुए थे. इसी दिन सुरक्षा बलों ने पुंछ जिले की मेंढर तहसील में नाका मजियारी गांव में एक आतंकवादी ठिकाने का पता लगाया था. यहां से एके सीरीज की चार राइफल की मैगजीन, दो ग्रेनेड बरामद हुए थे. इसके बाद मार्च महीने के पांचवें दिन राजौरी जिले में मंजाकोट तहसील के नेली गांव में छह ग्रेनेड बरामद हुए थे. 22 मार्च को जम्मू संभाग के सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पास एक पाकिस्तानी ड्रोन देखा गया था.