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जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला ने पुलवामा में 7 लोगों की मौत को बताया 'नरसंहार'

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अत्याधिक बल प्रयोग के लिये कोई सफाई नहीं हो सकती और इसे 'नरसंहार' कहना ही ठीक होगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "7 नागरिक मारे गए हैं. इतने अधिक बल प्रयोग के लिये कोई सफाई नहीं आई.

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उमर अब्दुल्ला (Photo:aajtak)
उमर अब्दुल्ला (Photo:aajtak)

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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 7 नागरिकों की मौत के बाद स्थिति बेहद तनावपूर्ण है. शाम को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आर्मी के ऑपरेशन के बाद घाटी में उपजे माहौल को देखते हुए बैठक की है. राज्य के तमाम सियासी दल भी इस मुद्दे पर लामबंद हो रहे हैं. इधर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने इस घटना को 'नरसंहार' करार दिया.

अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व वाला प्रशासन जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा के लिये कुछ नहीं कर रहा है. अब्दुल्ला ने कहा कि अत्याधिक बल प्रयोग के लिये कोई सफाई नहीं हो सकती और इसे 'नरसंहार' कहना ही ठीक होगा. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "7 नागरिक मारे गए हैं. इतने अधिक बल प्रयोग के लिये कोई सफाई नहीं आई. अब तक किसी ने भी कुछ नहीं कहा. यह एक नरसंहार है और इसे बस यही कहा जा सकता है."

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प्रशासन यह एक काम भी नहीं कर पा रहा

अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "7 आम नागरिक मारे गए और कई अन्य जख्मी हैं, कई की हालत नाजुक है. आप चाहे जैसे भी देखें, मुठभेड़ बेहद खराब तरीके से अंजाम दिया गया. मुठभेड़ स्थलों के आस-पास प्रदर्शन अपवाद नहीं बल्कि सामान्य बात हो गई है. आखिर हम इनसे बेहतर तरीके से निपटना कब सीखेंगे? राज्यपाल मलिक के प्रशासन का सिर्फ एक ही काम है, वह है सिर्फ और सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देना और संकटग्रस्त घाटी में शांति बहाल करना. लेकिन बड़े दुख की बात है कि प्रशासन यह एक काम भी नहीं कर पा रहा है."

राज्यपाल सत्यपाल मल‍िक ने सुरक्षा मामलों पर आला अध‍िकार‍ियों, राज्य और केंद्र की पुल‍िस फोर्स के अध‍िकारियों के साथ र‍िव्यू मीटिंग की.

मुल्क अपने ही लोगों के कत्ल से जंग नहीं जीत सकता

पीडीपी अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, "किसी भी जांच से उन बेकसूर लोगों की जान वापस नहीं आएगी." मुफ्ती ने ट्वीट किया, "आखिर कब तक हम अपने नौजवानों के जनाजे से कांधा देते रहेंगे? पुलवामा में मुठभेड़ के बाद आज कई नागरिक मारे गए. कोई भी मुल्क अपने ही लोगों के कत्ल से जंग नहीं जीत सकता. मैं इन हत्याओं की निंदा करती हूं और इस कत्लेआम को रोकने के लिये एक बार फिर प्रयासों की अपील करती हूं."

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दक्षिण कश्मीर पिछले 6 महीने से खौफ के साये में

एक और ट्वीट कर मुफ्ती ने कहा, "किसी भी जांच से उन बेकसूर लोगों की जान वापस नहीं आयेगी. दक्षिण कश्मीर पिछले 6 महीने से खौफ के साये में जी रहा है. क्या राज्यपाल शासन से यही उम्मीद थी? प्रशासन आम नागरिकों की सुरक्षा करने में नाकाम रहा है. शोक संतप्त परिजन को मेरी गहरी संवेदनाएं."

दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद और बेहद निंदनीय घटना

जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) अध्यक्ष जी ए मीर ने इन हत्याओं को लेकर नाराजगी जतायी और इसे दुर्भाग्यपूर्ण, दुखद और बेहद निंदनीय बताया. अलगावाद से मुख्यधारा के नेता बने और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने कहा कि प्रशासन को इस तरह के आतंकवाद विरोधी अभियानों की कीमत को 'गंभीरता से आंकने' की जरूरत है. माकपा नेता एवं पूर्व विधायक एम वाई तारिगामी ने इस 'बर्बर हत्याओं' पर दुख और गहरा क्षोभ जताया है. उन्होंने कहा कि कश्मीर भाजपा के संकीर्ण चुनावी हित की बलि चढ़ रहा है.

गौरतलब है क‍ि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में एक मुठभेड़ स्थल पर घुसने का प्रयास करने वाली उग्र भीड़ पर सुरक्षाबलों ने कथित रूप से गोलियां चला दीं जिसमें 7 आम नागरिकों की मौत हो गई. इस मुठभेड़ में 3 आतंकवादी मारे गए और सेना का एक जवान शहीद हो गया. इस घटना के बाद शन‍िवार को आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हुआ.

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