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कश्मीर से ताल्लुक रखने वाला वायुसेना का वो अफसर, जिसने राफेल को लाने में निभाई अहम भूमिका

फ्रांस से पांच राफेल विमानों की पहली खेप बुधवार को भारत पहुंचेगी. चीन के साथ जारी तनाव के बीच भारतीय वायुसेना की इससे शक्ति बढ़ेगी.

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भारत आने वाला है राफेल
भारत आने वाला है राफेल

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  • बुधवार को भारत पहुंचेगी राफेल की पहली खेप
  • जम्मू-कश्मीर के अफसर ने निभाई अहम भूमिका

भारत को बुधवार को राफेल लड़ाकू विमान मिलने जा रहा है. फ्रांस से रवाना हुए पांच राफेल लड़ाकू विमान बुधवार को अंबाला एयरबेस पर पहुंचेंगे. फ्रांस के साथ हुई इस पूरी डील में कई तरह की अड़चनें थीं, क्योंकि राफेल को भारतीय वायुसेना की जरूरतों को हिसाब से तैयार करवाना था. इस पूरी प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले वायुसेना के एयर कॉमरेड हिलाल अहमद रथर की अहम भूमिका रही है.

एयर कॉमरेड हिलाल अहमद अभी फ्रांस में हैं और भारतीय वायुसेना के एयर अटैच के रूप में तैनात हैं. यानी फ्रांस में भारतीय वायुसेना की अगुवाई वही करते हैं, जिन्हें लगातार फ्रांस में भारत के राजदूत के साथ देखा भी जाता रहा है.

हिलाल अहमद कश्मीर के अनंतनाग जिले से ताल्लुक रखते हैं और यहां के बख्शियाबाद इलाके से हैं. उन्होंने सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी, जिसके बाद 1988 में वायुसेना ज्वाइन कर ली. शुरुआत एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट से हुई और अब वो एक एयर कॉमोडोर हैं.

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air_072820021207.jpgवायुसेना के एयर कॉमोडोर हिलाल अहमद रथर

आ रहा है राफेल! अंबाला एयरबेस पूरी तरह तैयार, चीन के साथ तनाव के बीच बढ़ेगी ताकत

राफेल की सही वक्त पर डिलीवरी, भारत की जरूरतों का ध्यान रखना फ्रांस में एयर कॉमोडोर हिलाल अहमद के हाथ में यही जिम्मेदारी थी, जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया. हिलाल को NDA में स्वॉर्ड ऑफ ऑनर का खिताब भी मिला हुआ है.

अगर उनके रिकॉर्ड पर नज़र डालें तो उन्होंने अबतक Mig 21, Mirage-2000 और किरण एयरक्राफ्ट को करीब 3000 घंटे तक उड़ाया हुआ है. उन्हें वायुसेना मेडल से नवाजा गया है, जो उन्हें बतौर विंग कमांडर 2010 में मिला था. इसके अलावा विशिष्ट सेवा मेडल से तब नवाजा गया जब वो 2016 में ग्रुप कैप्टन थे.

आपको बता दें कि बुधवार को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर पांच राफेल विमान पहुंचेंगे. ये फ्रांस से भारत को मिलने वाली पहली खेप होगी, जो मिल रही है. 2021 के अंत तक सभी 36 विमान भारत को मिल जाएंगे. भारतीय वायुसेना के कई अफसर लंबे वक्त से फ्रांस में इन्हें उड़ाने की ट्रेनिंग ले रहे थे.

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