राज्यसभा में बुधवार को को दोपहर बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया. इस दौरान उन्होंने जहां एक ओर मुद्दे पर स्वस्थ चर्चा के लिए सभी दलों का धन्यवाद किया, वहीं यह भी स्पष्ट किया कि कश्मीर में कभी लगातार कर्फ्यू नहीं लगाया गया. सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य में जो भी हो रहा है वह पाकिस्तान प्रायोजित है.
राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं पाकिस्तान गया था और वहां 30 से अधिक प्रतिनिधिमंडल से मिला. मुझे लगता है कि कश्मीर मुद्दे पर सबसे बात होनी चाहिए. यह कहना गलत है कि कश्मीर में लगातार कर्फ्यू लगाया गया. कश्मीर में आज जो भी हो रहा है वह पाकिस्तान प्रायोजित है.' उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान से अब जब भी बात होगी तो कश्मीर पर नहीं पाक अधिकृत कश्मीर पर होगी.
राजनाथ सिंह ने आगे कहा है कि कश्मीर में हिंसा के दौरान पत्थरबाजी के कारण 100 से ज्यादा एंबुलेंस को नुकसान पहुंचा, लेकिन अभी भी वहां 400 से अधिक एंबुलेंस तैनात हैं. सिंह ने कहा, 'कर्फ्यू और हिंसा के बावजूद कश्मीर में जरूरी सामानों की कमी नहीं होने दी गई. मैं यह नहीं कहता कि हालात सामान्य हो गए हैं, लेकिन कोई कसर नहीं छोड़ी गई है.'
'मेरे बयान पर होती है पीएम की सहमति'
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के पीएम मोदी पर लगाए गए आरोप का भी जवाब दिया. सिंह ने कहा, 'यह कहना गलत है कि पीएम मुद्दों पर नहीं बोलते. मुझे गृह मंत्री बनाया गया है और सदन में मैं किसी मुद्दे पर जो भी बोलता हूं. उस पर पीएम की सहमति और मर्जी होती है.' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 12 अगस्त को होने वाली सर्वदलीय बैठक में पीएम मौजूद होंगे और सभी सवालों का जवाब देंगे.
राज्यसभा में राजनाथ सिंह ने कश्मीर पर और क्या कहा-
- जम्मू-कश्मीर में लश्कर के आतंकी सुरक्षा बलों के जवान और उनके परिवार को धमका रहे हैं
- सरकार अमरनाथ यात्रा के बाद घाटी को सेना के हवाले नहीं करने जा रही है. हम इस ओर सभी पक्षों और दलों से बात कर रहे हैं
- हम सब से बात करने के लिए तैयार हैं. हमने मुख्यमंत्री से भी सभी से बात करने को कहा है
- हम भारत में 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा को स्वीकार नहीं कर सकते
- दुनिया की कोई ताकत हमसे जम्मू-कश्मीर नहीं छीन सकती
- 12 अगस्त को दिल्ली में जम्मू-कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है
- घाटी में गैर घातक हथियारों के प्रयोग को मैं सही नहीं बता रहा, लेकिन इसका इस्तेमाल इससे पहले भी किया गया है
- सुरक्षा बलों से घाटी में संयम बरतने को कहा गया है
- राज्य सरकार हिंसा क्षेत्रों में आधारभूत जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दे रही है
- 23 और 24 जुलाई और अनंतनाग और श्रीनगर दौरे पर मैंने कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की
- कश्मीर हिंसा में 4515 सुरक्षा बलों के जवान घयल हुए, वहीं घायल नागरिकों की संख्या 3356 है
- राज्य में हिंसा के दौरान अस्पतालों में 2656 रोगी भर्ती हुए, इनमें से 2500 को डिस्चार्ज कर दिया गया है
- अस्पतालों में 8000 छोटी-बड़ी सर्जरी की गई
आजाद ने पीएम मोदी को घेरा
इससे पहले कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को घेरा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में बने अपने ऑफिस में सुबह 10 बजे आ जाते हैं और शाम को 6 बजे तक रहते हैं, लेकिन सदन में अहम मुद्दों पर चर्चा में शामिल नहीं होते. उन्होंने पीएम से दलितों पर हमले और कश्मीर के मुद्दे पर संसद में बयान देने की मांग की. राज्यसभा में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा के बीच सदन को दो बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया. पीएमअो में मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, 'बार-बार कहा जा रहा है कि जब से बीजेपी आई तब से गदर हो गया तो सवा साल से क्यों कुछ नहीं हुआ?'
कश्मीर मु्द्दे पर सदन में चर्चा के लिए चार घंटे का वक्त तय किया गया. मंगलवार को विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी जिसे उन्होंने मान लिया था. कश्मीर में 33 दिनों से कर्फ्यू जारी है.
गुलाम नबी आजाद ने गृह मंत्री के सामने प्रस्ताव रखा था कि वह बुधवार को जीरो ऑवर स्थगित कर कश्मीर हिंसा के मसले पर सुबह 11 बजे से चर्चा शुरू करें. आपको बता दें मानसून सत्र में दूसरी बार कश्मीर हिंसा के मसले पर चर्चा की जाएगी.
हालांकि विपक्ष ने इस चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में मौजूद रहने की मांग भी की थी, जिस पर सरकार ने अपना पक्ष अब तक साफ नहीं किया है. विपक्ष सोमवार से कश्मीर मसले पर पीएम मोदी के बोलने की मांग कर रही है.