जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आया है. मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी ने महबूबा मुफ्ती की सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया. बीजेपी नेता राम माधव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का ऐलान किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में राम माधव ने पीडीपी को कोसते हुए उसी राज्य सरकार पर हमला बोला जिसका हिस्सा पिछले चार साल से वो खुद थे.
राम माधव ने कहा कि तीन साल पहले जो जनादेश आया था, तब ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण ये गठबंधन हुआ था. लेकिन जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कई मुद्दों पर फेल रही इसलिए गठबंधन वापस लिया जा रहा है.
राम माधव ने गिनाईं राज्य सरकार की खामियां -
# राज्य में बढ़ा आतंकवाद
# राज्य में अलगाववाद में तेजी आई
# राज्य में विकास के कार्य रुके
# जम्मू और लद्दाख में विकास कार्य पूरी तरह से ठप हुए
# राज्य में फ्रीडम ऑफ स्पीच खतरे में आई
# राज्य सरकार में हम हिस्सा थे लेकिन कमान पीडीपी के हाथ में थी. निर्णायक फैसला उनका ही होता था.
# रमजान महीने में सीजफायर लागू किया था, लेकिन उसमें भी शांति स्थापित नहीं हो पाई. हालात बिगड़ते जा रहे थे.
अमित शाह ने राज्य नेताओं संग बैठक के बाद लिया फैसला
भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की, जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है. आज शाम ही जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने पद से इस्तीफा देंगी. BJP कोटे के सभी मंत्रियों ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है.
बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी है. बीजेपी की ओर से राज्यपाल शासन की मांग की गई है. आपको बता दें कि बीजेपी नेताओं से मिलने से पहले अमित शाह ने NSA अजित डोभाल से भी मुलाकात की थी.
सभी से चर्चा के बाद हुआ फैसला
बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि जिन मुद्दों को लेकर सरकार बनी थी, उन सभी बातों पर चर्चा हुई. पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है.