विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए काम करने वाले संगठन ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के उस बयान की निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था कि पीएम रोजगार पैकेज की राशि कश्मीरी पंडितों की वापसी और उनके पुर्नवास के लिए है.
रिकॉन्सिलेशन रिटर्न एंड रिहैबिलिटेशन ऑफ माइग्रैंट्स के अध्यक्ष सतीश महालदार ने जारी बयान में कहा कि हम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो कश्मीरी पंडितों के साथ हिट एंड ट्रायल का खेल खेलना बंद करे. पीएम पैकेज को विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए तंत्र बताना उनके दर्द के साथ क्रूर मजाक है.
कश्मीरी एक्टिविस्ट सतीश महालदार ने कहा कि हम वो लोग हैं जो भारत-पाकिस्तान के बीच मोहरे के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं. चुनाव जीतने के लिए बीजेपी सहित अन्य राजनीतिक पार्टियां हमारे दुर्भाग्यपूर्ण मामले का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन जैसे ही न्याय की बात आती है यह सरकार भी पूर्व की सरकारों की तरह इसमें फेल रही है.
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सतीश महालदार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाए जो 1989 में घाटी में निर्दोष कश्मीरी पंडितों की हत्या मामले की जांच करे और यह भी जांच करे कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए कौन जिम्मेदार थे. एसआईटी का नेतृत्व सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के हाथों में होना चाहिए.
कश्मीरी एक्टिविस्ट ने कहा कि हम मांग करते हैं कि विस्थापित और प्रवासी कश्मीरी पंडित, अन्य हिंदू, सिख और कुछ मुस्लिम प्रवासियों का घाटी में सार्थक रूप पुर्नवास किया जाए.