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पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह ने जम्मू-कश्मीर सरकार को अस्थिर करने के आरोपों को बेतुका बताया

गुप्त खुफिया इकाई की कथित गतिविधियों को लेकर निशाने पर आए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को दुर्भावना से प्रेरित बताया है.

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पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह
पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह

गुप्त खुफिया इकाई की कथित गतिविधियों को लेकर निशाने पर आए पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को दुर्भावना से प्रेरित बताया है.

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उधर, शीर्ष अधिकारियों ने इस मुद्दे को लेकर चर्चा की है. अपने कार्यकाल के दौरान स्थापित तकनीकी समर्थन संभाग (टीएसडी) के उमर अब्दुल्ला सरकार को अस्थिर करने संबंधी रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद वीके सिंह ने आरोपों को ‘एकदम बेतुका’ बताया है.

पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि यह ‘हास्यास्पद और बेतुका’ आरोप है कि वे जम्मू-कश्मीर सरकार को गिराने का प्रयास कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सेना ने वहां स्थिरता लाने के लिए काफी कुछ किया है. कुशासन के लिए राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए जनरल सिंह ने कहा कि वे बिना किसी तथ्य के इन आरोपों पर बोल रहे हैं कि टीएसडी का इस्तेमाल राज्य सरकार को गिराने के लिए किया गया था.

जांच में अब तक कुछ नहीं मिला
अनधिकृत अभियान के लिए तकनीकी सहयोग प्रकोष्ठ :टीएसडी: का दुरुपयोग करने और वित्तीय अनियमितता में शामिल होने की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर जनरल सिंह ने दावा किया कि सेना और रक्षा मंत्रालय को अपनी जांच में इकाई के बारे में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला और इसे बंद करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पास जांच रिपोर्ट भेजी है.

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पूर्व सेना प्रमुख जनरल सिंह कहा, ‘इस पूरे मुद्दे पर रिपोर्ट दुर्भावना से प्रेरित है और इसके पीछे कई कारण हैं, जिसमें से एक बीजेपी नेता नरेन्द्र मोदी के साथ मंच साझा करना शामिल है. हथियारों के सौदागरों और रिपोर्ट के पीछे जो लोग हैं, उनके बीच साठगांठ है.’

जान-बूझकर रिपोर्ट लीक की गई
जनरल सिंह ने कहा कि एनएसए को भेजकर सरकार के इस मामले को बंद करने का निर्णय करने के बाद ‘रक्षा मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव ने मेरे खिलाफ यह रिपोर्ट लीक की.’ जानकारी के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ-साथ रक्षा और गृह सचिव के साथ इस मुद्दे और इसके प्रभावों पर चर्चा करने के लिए बैठक की.

विवाद के बढ़ने के बाद कांग्रेस ने कहा कि भारतीय सेना का नाम बदनाम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और उसे दंडित किया जाएगा. उधर, जम्मू कश्मीर से पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने भी मामले की जांच की मांग की.

पूर्व जनरल को मिला सुब्रह्मण्यम स्वामी का साथ
बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि जनरल सिंह के खिलाफ एक सैन्य जांच में लगाए गए आरोप ‘झूठे’ हैं और उन्हें पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के करीब रहने के कारण निशाना बनाया जा रहा है.

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कोई गलत कदम नहीं उठाया
एक वक्तव्य में जनरल सिंह ने कहा कि भारतीय सेना ने रक्षा मंत्री एके एंटनी और एनएसए की पूरी मंजूरी से टीएसडी का गठन किया था. जनरल सिंह ने कहा कि टीएसडी का गठन रक्षा मंत्री द्वारा सेना को मुम्बई पर 26/11 आतंकी हमले के बाद दिये गए निर्देश के आधार पर किया गया था, जिसके तहत देश की सीमा को सुरक्षित रखने और देश की आंतरिक स्थिति से जुड़े एक विशेष काम को करने को कहा गया था. उन्होंने कहा कि टीएसडी कोई उनकी ‘निजी या दुष्ट सेना’ नहीं थी जैसा कुछ संगठन आरोप लगा रहे हैं, बल्कि इसको डीजी सैन्य खुफिया महानिदेशालय की ओर राशि मुहैया कराई जाती है.

सेना द्वारा उनके कार्यकाल के दौरान इंटरसेप्ट उपकरण की खरीद और इनका इस्तेमाल फोन टैप करने के लिए किये जाने के आरोपों के बारे में उन्होंने कहा कि ये उपकरण रक्षा खुफिया एजेंसी के तहत थे और टीएसडी के तहत नहीं. जनरल सिंह ने कहा कि ऐसे उपकरणों का उपयोग मोबाइल फोन पर बातचीत को टेप करने के लिए किया जाता है, लैंडलाइन टेलीफोन की नहीं.

मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह का प्रमोशन रोकने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता, तो सेना एक विशेष मामले में अपना रुख बदल चुकी होती, जिसमें ब्रिकम सिंह शामिल थे. यह मामला एक 70 वर्षीय व्यक्ति से जुड़ा था, जिसे मारने के बाद विदेशी आतंकवादी बताया गया था. उन्होंने कहा कि आमतौर पर जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी 30-32 वर्ष आयु वर्ग से अधिक के नहीं होते.

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