जम्मू-कश्मीर के नेता सज्जाद लोन ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करना असंवैधानिक था. 370 हमारा अधिकार है जिसे बलपूर्वक छीन लिया गया. यह हमसे जुड़ा हुआ था, जो हमारा अधिकार था.
अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने से जम्मू-कश्मीर की मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां कमजोर हुई हैं? इस पर आजतक से बातचीत में सज्जाद लोन ने कहा, हां इसमें कोई संदेह नहीं है. मुख्यधारा के राजनीतिक दल मुख्य रूप से विकास की वकालत करती थीं. उनकी राजनीति विकास को लेकर थीं. जम्मू-कश्मीर में ये राजनीतिक पार्टियां अलगाववादियों के उलट भारत के संविधान की विचारधारा का प्रचार भी कर रही थीं. इसलिए जब आज 370 छीन लिया गया तो लोग पूछ रहे हैं कि यह आप हमें क्या बेच रहे थे.
सज्जाद लोन ने कहा कि सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को बंद कर दिया गया. हम एक अजीब जगह में रह रहे हैं. आज हम अपनी ही जमीन पर अजनबी बन गए हैं. इससे भी बड़ी समस्या यह है कि जैसे कोरोना के लक्षण 5 दिनों के बाद दिखते हैं, लेकिन उन्होंने (केंद्र सरकार) जो क्या किया है, उसके लक्षण शायद पांच साल बाद नजर आएं.
आप बीजेपी के एक सहयोगी थे, क्या आपको इस बात से दुख हुआ कि ऐसा हुआ और क्या आपने कभी ऐसा कुछ होने की कल्पना की थी? सज्जाद लोन ने कहा कि जब यह सब कुछ (370 को निरस्त करना) हो रहा था तो बहुत दुख हुआ. मैं यह कह सकता हूं कि यह हमारे लिए यह मूर्खतापूर्ण था. लेकिन मैं कह सकता हूं कि विकास के लिए काम किया. आप चुनावी नतीजे देखेंगे तो पता चलेगा कि जनादेश विचारधारा के लिहाज से नहीं मिलता है.
370 को बहाल करने के लिए छह दल एकजुट हुए हैं. लेकिन आप इसे कैसे करेंगे. दूसरा पक्ष कह रहा है कि यह अब संभव नहीं है. इस सवाल पर सज्जाद लोन ने कहा कि मुझे लगता है दिल्ली में बैठे हुए लोगों ने कुछ मान्यताओं के आधार पर यह सब (370 को निरस्त करना) किया होगा जो कि बहुत नाजुक थे. अगर उनकी धारणा ठोस नहीं है तो सब कुछ ध्वस्त हो जाएगा.
सज्जाद लोन ने कहा कि एक दिन यहां के लोगों की बात सुनी जाएगी. मेरी ईमानदारी से सलाह है कि आज आप भले ही बहुत पावरफुल हैं लेकिन इस संसद से पहले भी दुनिया थी. इतिहास के पन्नों को देखिए. आप सांस्कृतिक और डेमोग्राफी को नहीं बदल सकते हैं.