जम्मू-कश्मीर ट्रेडर्स और उत्पादक एसोसिएशन की अपील पर सुप्रीम कोर्ट 30 मई को सुनवाई करेगा. ये याचिका मिलावटखोरी के बारे में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर की गई है.
हाई कोर्ट ने मांगा मिलावट पर हलफनामा
इसी साल अप्रैल महीने में हार्इ कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश जारी किया था कि राज्य के सभी छोटे और मध्यम स्तर के फूड मैन्यूफैक्चरर को मिलावट से जुड़ा हलफनामा देना होगा. उन्होंने बताना होगा कि तैयार किए गए खाद्य पदार्थ में किसी तरह की कोई मिलावट नहीं है.
फूड टेस्टिंग लैब नहीं तो 31 मई तक बंद करें यूनिट
इसके लिए कंपनियों को लैब में फूड टेस्ट कर उसकी रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी. साथ ही हर यूनिट को अपने यहां क्वालिटी मेंटेन करने के लिए एक फूड टेस्टिंग लैब बनानी होगी. जो फूड यूनिट ऐसा नहीं कर सकती उन्हें 31 मई तक अपनी यूनिट बंद करनी होगी. खाद्य पदार्थ में मिलावट होती है तो बिना किसी इम्प्रूवमेंट नोटिस के खाद्य उत्पाद को बैन किया जा सकता है.
फूड सेफ्टी अधिनियम के खिलाफ है आदेश
इस आदेश को चुनौती देते हुए ट्रेडर्स एसोसिएशन ने कहा है कि हाई कोर्ट का यह आदेश फूड सेफ्टी अधिनियम के खिलाफ है. फूड सेफ्टी अधिनियम में यह कहीं नहीं लिखा है कि छोटे और मध्यम स्तर की फूड यूनिट को अपने यहां पर फूड क्वालिटी लैब बनाना अनिवार्य है. किसी भी खाद्य उत्पाद पर बैन लगाने से पहले इम्प्रूवमेंट नोटिस देना जरूरी है. इसलिए आदेश को खारिज किया जाए.
75 से ज्यादा कारोबारियों ने की अपील
सुप्रीम कोर्ट में 75 से ज्यादा छोटे और मध्यम स्तर के फूड मैन्यूफैक्चरर ने अपनी एसोसिएशन के जरिए अपील दायर की है. अब देखना यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट से इन्हें राहत मिलती है या नहीं.