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भैयाजी जोशी से मिले J-K बीजेपी के बड़े नेता, विधानसभा और लोकसभा चुनावों पर चर्चा

जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी प्रमुख भैयाजी जोशी का दौरा अहम माना जा रहा है. मंगलवार जम्मू पहुंचे भैयाजी जोशी ने बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की.

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आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी (फोटो-Twitter/@RSSorg)
आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी (फोटो-Twitter/@RSSorg)

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जम्मू-कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बड़े नेताओं ने मंगलवार को यहां पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी से मुलाकात की. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह, प्रदेश रवींद्र रैना, जुगल किशोर, कवींद्र गुप्ता शामिल रहें. घाटी में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद यह इस तरह की पहली बैठक है जिसमें राज्य के बीजेपी और आएसएस के बड़े नेता शामिल हुए. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में राज्य के विधानसभा चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई.

आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी तीन दिवसीय दौरे पर जम्मू में हैं. इस दौरान वे संघ के विभिन्न अनुशांगिक संगठनों के प्रतिनिधियों से मिलकर जम्मू-कश्मीर की समस्याओं पर चर्चा करेंगे. संघ प्रमुख मोहन भागवत के बाद भैयाजी जोशी का जम्मू-कश्मीर दौरा काफी अहम माना जा रहा है. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी लगातार बीजेपी के बड़े नेताओं से मिल रहे हैं. इसी क्रम में विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिली हार के बाद 20 दिसंबर को पार्टी अध्यक्ष अमित शाह भी भैयाजी जोशी से मिले थें. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर के नेताओं से आरएसएस के कार्यकारी प्रमुख की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं. बैठक में शामिल होने वाले राज्य बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने कहा कि यह पार्टी की आंतरिक बैठक है.

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बता दें कि हाल ही में लद्दाख क्षेत्र के स्थानीय चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं लद्दाख से बीजेपी सांसद स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. दरअसल लद्दाख क्षेत्र की पुरानी मांग रही है कि उसे संघ शासित राज्य घोषित किया जाए. आरएसएस लगातार केंद्र सरकार पर इस बहुप्रतिक्षित मांग को लेकर दबाव बना रही है. वहीं जम्मू क्षेत्र के नेताओं की भी मांग है कि विधानसभा चुनावों से पहले परिसीमन आयोग का गठन कर राजनीतिक भेदभाव दूर करने का प्रयास किया जाए.

ऐसे में जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा संस्थागत व्यवस्था के जरिए जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में संतुलित व न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रपति शासन सही अवसर है.

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