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जम्मू-कश्मीर प्रशासन की सुप्रीम कोर्ट से अपील- खाारिज हो शाह फैसल की याचिका

नौकरशाही से इस्तीफा देकर नेता बने जम्मू-कश्मीर के पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में सरकार ने कहा है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

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पूर्व IAS शाह फैसल की फाइल फोटो (क्रेडिट-IANS)
पूर्व IAS शाह फैसल की फाइल फोटो (क्रेडिट-IANS)

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  • राज्य सरकार की मांग, खारिज हो शाह फैसल की याचिका
  • शाह फैसल के पास नहीं था छात्र वीजा इसलिए रोका गया
  • शाह फैसल सशर्त जमानत लेने को नहीं तैयार
  • माहौल बिगाड़ने के आरोप में की गई कार्रवाई
नौकरशाही से इस्तीफा देकर नेता बने जम्मू-कश्मीर के पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल की बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जवाब में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हलफनामे में सरकार ने कहा है कि यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

इस दलील के समर्थन में प्रशासन ने कोर्ट को बताया कि शाह फैसल ने पर्यटक वीजा प्राप्त किया था, छात्र वीजा नहीं. दिल्ली से तुर्की और फ्रैंकफर्ट से बॉस्टन तक के टिकट के अलावा उन्होंने अदालत को संतुष्ट करने के लिए कुछ भी नहीं दिखाया, जिससे साबित हो सके कि वे शैक्षणिक उद्देश्य से यात्रा कर रहे थे.

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राज्य प्रशासन ने कहा है कि उनके पासपोर्ट पर बी1/बी 2 वीजा चिपकाया गया है, जो छात्र वीजा नहीं होने के कारण उन्हें यूएसए में पढ़ने का अधिकार नहीं देता. सरकार ने कहा, इस बात को स्वीकार करने के लिए कि किसी राजनीतिक संगठन का नेता, जो हमारे देश के संवैधानिक कार्यों के बारे में बहुत मुखर है, वो हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अकादमिक पाठ्यक्रम के लिए विदेश जा रहा था.

प्रशासन ने कहा कि याचिकाकर्ता का पक्ष गलत तथ्य पर है, जिसके आधार पर याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी.याचिकाकर्ता को होटल सेंटूर में रखा गया है जो श्रीनगर के पॉश होटलों में से एक है. फैसल की पत्नी ने उनसे होटल में मुलाकात भी की है.

राज्य प्रशासन ने अपने हलफनामे में कहा है कि श्रीनगर पहुंचने पर फैसल ने आगमन टर्मिनल पर लोगों की सभा को संबोधित करना शुरू किया. इससे शांति भंग होने की आशंका हुई क्योंकि उन्होंने देश की अखंडता के खिलाफ एकत्रित लोगों को उकसाना शुरू कर दिया था.

हलफनामे पर यह भी कहा गया कि एयरपोर्ट अथॉरिटी और पुलिस ने ऐसी कार्रवाई देखी भी. चेतावनी दिए जाने के बाद भी उन्होंने गतिविधियों को जारी रखा जिससे माहौल अनियंत्रित हो गया.

हलफनामे में ये भी कहा गया कि 14 अगस्त को उनके भाषण और अन्य गतिविधियों की वजह से शांति भंग होने की आशंका बढ़ गई थी. लिहाजा हिरासत में लिए गए फैसल को शांति बनाए रखने की शर्त पर मजिस्ट्रेट ने 50 हजार रुपए के बॉन्ड और सिक्योरिटी देकर रिहा करने की पेशकश की. लेकिन फैसल ने इससे इनकार कर दिया. इस पर मजिस्ट्रेट ने उनको हिरासत में ही रखने का आदेश देकर 24 अगस्त को मामला सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था.

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