जम्मू-कश्मीर में अगले साल की छुट्टियों की सूची जारी की गई है. इस सूची में शेख अब्दुल्ला की जयंती की छुट्टी गायब है जिसने केंद्र शासित प्रदेश में बड़े राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती की छुट्टी बहाल नहीं की गई है.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने साल 2025 के लिए छुट्टियों की सूची जारी की है. उमर सरकार ने 5 दिसंबर को शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती की छुट्टी बहाल करने के लिए एलजी प्रशासन को प्रस्ताव भेजा था. लेकिन उनकी जयंती को छुट्टी में शामिल न किए जाने के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बीजेपी पर निशाना साधा है.
'कश्मीर के इतिहास की उपेक्षा कर रही बीजेपी'
उमर अब्दुल्ला की पार्टी NC का कहना है कि यह कश्मीर के इतिहास के प्रति बीजेपी की उपेक्षा को दिखाता है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती की छुट्टी खत्म कर दी गई थी. एलजी ने 5 दिसंबर को सरकारी अवकाश घोषित करने के उमर अब्दुल्ला सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, जिस दिन एनसी के संस्थापक शेख अब्दुल्ला की जयंती होती है.
'क्या यह एक और बेशर्म यू-टर्न है?'
श्रीनगर के पूर्व मेयर जुनैद मट्टू ने छुट्टियां बहाल कराने में 'विफलता' के लिए एनसी पर निशाना साधा है. जुनैद मट्टू ने कहा, 'क्या एनसी ने यह वादा नहीं किया था कि 13 जुलाई शहीद दिवस पर राजकीय अवकाश और राजकीय समारोह बहाल किया जाएगा? क्या वे सिर्फ इसलिए भूल गए क्योंकि वे नई कारें खरीदने में व्यस्त थे या यह एक और बेशर्म यू-टर्न है?'
'बजट सत्र से पहले बहाल हो जाएगा राज्य का दर्जा'
आजतक से बात करते हुए एनसी के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर को संसद के बजट सत्र से पहले राज्य का दर्जा दिया जाएगा. उन्होंने कहा, 'हमें आश्वासन दिया गया है कि संसद के आगामी बजट सत्र तक या उससे पहले राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.'
सादिक ने कहा, 'यह बीजेपी की ओछी राजनीति है कि उन्होंने 5 दिसंबर को छुट्टी घोषित करने के हमारे कैबिनेट प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया, लेकिन जब हमारा पूरा नियंत्रण होगा तो हम ऐसा करेंगे.'
बीजेपी ने की एलजी के फैसले की सराहना
भारतीय जनता पार्टी की ओर से जारी एक आधिकारिक हैंडआउट में, सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी की गई 2025 की सार्वजनिक छुट्टियों की सूची में बदलाव न किए जाने के फैसले की सराहना की गई है. 28 दिसंबर 2019 को एलजी प्रशासन द्वारा लिए गए एक फैसले में, 13 जुलाई और 5 दिसंबर को दो विवादास्पद छुट्टियों को 2020 में मनाई जाने वाली सार्वजनिक छुट्टियों की सूची से हटा दिया गया था.
इन दोनों छुट्टियों की बहाली को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया था. यह पार्टी द्वारा की गई कई विवादास्पद प्रतिबद्धताओं में से एक थी. सरकार बनाने के बाद पार्टी के महासचिव समेत कई नेताओं और विधायकों ने 5 दिसंबर, 2024 को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के लिए एलजी से जोरदार अपील की थी, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया.
जानकारी के मुताबिक कैबिनेट प्रस्ताव सौंपकर एलजी पर और दबाव डाला गया. पार्टी के प्रवक्ता अनिल गुप्ता ने कहा, 'एलजी द्वारा उठाया गया कड़ा रुख और संकीर्ण मांग को नजरअंदाज करना वास्तव में सराहनीय है.'