श्रीनगर के आतंकी हमले में 5 जवान क्या इस वजह से शहीद हो गए क्योंकि उनमें से ज़्यादातर के पास हथियार नहीं थे. ये सवाल एक बड़ा मुद्दा बन गया है.
ये सवाल उठा है जम्मू कश्मीर पुलिस के एक आदेश की वजह से जिसमें सीआरपीएफ के जवानों को सिर्फ़ लाठी रखने को कहा गया है. अजीब बात ये है कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री और जम्मू-कश्मीर के गृह राज्यमंत्री विरोधाभासी बातें कर रहे हैं.
श्रीनगर के बेमनी इलाके में बुधवार को हुए आत्मघाती हमले ने कई विवादों को जन्म दे दिया है. इस हमले में सीआरपीएफ के 5 जवानों ने अपनी जान गंवाई. सवाल उठे, कि महज़ दो आतंकवादियों ने कैसे हमारे इतने जवानों को मार डाला.
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सीआरपीएफ के जवानों को सिर्फ़ लाठी के दम पर शांति बहाल रखने का फरमान जारी किया था. आज तक के पास 1 मार्च को जारी किए गए पुलिस के उस आदेश की कॉपी मौजूद है जिसमें कहा गया है कि सीआरपीएफ के जिन जवानों की तैनाती कानून-व्यवस्था संभालने में होगी, वे हथियार लेकर नहीं चलेंगे, उन्हें सिर्फ लाठी या बेंत रखना होगा.
अब भला लाठी के दम पर आत्मघाती हमलावरों की राइफलों का सामना कैसे होता. तो क्या यही वजह थी कि जब तक हमारे जवान हथियारों के साथ मोर्चा संभाल पाते, तब तक 5 जवान आतंकवादियों की फायरिंग का शिकार हो गए.
जम्मू कश्मीर से लेकर दिल्ली तक, गुरुवार को श्रीनगर हमले का ही मुद्दा छाया रहा. जम्मू कश्मीर विधानसभा में बीजेपी, पैंथर्स पार्टी और निर्दल विधायकों ने बवाल मचाया, तो संसद के दोनों सदनों में बीजेपी और शिवसेना ने केंद्र सरकार के ढुलमुल रवैये पर तीखे सवाल खड़े किए लेकिन इस सवाल का जवाब कहीं से नहीं मिला कि हमारे जवानों की जान की क़ीमत पर अमन का खोखला संदेश आख़िर कब तक दिया जाता रहेगा.