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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म हुए आज दो साल पूरे हो गए. इस मौके को जम्मू-कश्मीर की अलग अलग पार्टियों ने अलग अलग तरीके से मनाया. आज कश्मीर में अलगाववादी संगठनों ने बंद का ऐलान किया था. वहीं बीजेपी ने इस मौके पर कई जगह कार्यक्रम आयोजित किया.
वहीं महबूबा मुफ्ती की पीडीपी ने 5 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाया. 6 दलों के राजनीतिक संगठन गुपकार अलायंस ने भी आज बयान जारी कर कहा कि पिछले 2 सालों में जम्मू-कश्मीर की जनता ने सबसे ज्यादा पीड़ा सही है.
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि 5 अगस्त देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक व्यवस्था को कुचलने की याद दिलाता है. ये बताता है कि कैसे जम्मू-कश्मीर के लोगों और देश के सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ विश्वासघात किया गया
अलगाववादी संगठनों की बंद की नाकाम कोशिश
गुपकार संगठन के प्रवक्ता युसूफ तारिगामी ने कहा, "5 अगस्त के साथ ही भारतीय संविधान पर अभूतपूर्व हमले के 2 साल पूरे हो गए थे जब संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था. इसके साथ ही उस रिश्ते पर चोट पहुंचाई गई थी जिसके जरिए हम भारतीय संघ से जुड़े थे. सरकार ने जम्मू-कश्मीर के संविधान को चोट पहुंचाकर संवैधानिकता की सभी हदें पार कर दी है."
अलगाववादी संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद का आंशिक असर ही श्रीनगर में देखने को मिला. सुबह श्रीनगर में दुकानें बंद रही लेकिन बाद में खुल भी गईं.
शिवसेना ने निकाली तिरंगा रैली
5 अगस्त को शिवसेना ने सम्पूर्ण विलय दिवस के रूप मनाया. शिवसेना ने तिरंगा रैली निकाली और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि जम्मू को अलग राज्य का दर्जा दिया जाए एवं जम्मू की विधानसभा सीटों को 37 से बढ़ाकर 50 किया जाए.
शिवसेना ने पीओके विस्थापितों के हक में आवाज बुलंद करते हुए पीओके के लिए आरक्षित सीटों को इनके हक में डिफ्रीज करने की मांग की. साहनी ने कहा कि अगर उक्त मांगों के हक में जल्द फैसला नहीं लिया गया तो यहां भी खेला होबे.