scorecardresearch
 

सिस्टम की नाकामी की कहानीः गधे को जारी किया एडमिट कार्ड

जम्मू कश्मीर सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (JKSSB)ने काचूर खार नाम के गधे को नायाब तहसीलदार के लिए 29 अप्रैल को होने वाली परीक्षा में शामिल होने का एडिमट कार्ड जारी कर दिया.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

कहते हैं कि किस्मत मेहरबान तो गधा पहलवान! लेकिन कोई गधा अगर पहलवान नहीं नायब तहसीलदार बनने की हसरत पाल ले तो आप क्या कहेंगे. मगर यकीन मानिए, जम्मू कश्मीर के एक गधे ने ठीक यही जिद ठान ली है और जम्मू कश्मीर की सरकार इस काबिल गधे के हौसले को देखते हुए इस बात के लिए तैयार भी हो गई है कि वह नायब तहसीलदार बनने के लिए होने वाली परीक्षा में इंसानों के साथ मुकाबले में हिस्सा ले और ये साबित कर दे कि गधा, घोड़ा भले न बन सके, जम्मू कश्मीर में नायब तहसीलदार की कुर्सी पर बैठ सकता है. मशहूर साहित्यकार कृशन चंदर की मुलाकात शायद इसी काबिल गधे से हुई होगी जो उन्होंने गधे की आत्मकथा जैसा मशहूर उपन्यास लिख डाला.

अब तक आप शायद ये सोच रहे होंगे कि ये क्या गधेपन की बात है- कोई जानवर भला इंसानों की परीक्षा में कैसे शामिल हो सकता है. लेकिन क्या आपने किसी किताब में ऐसा पढ़ा है कि गधा मंदबुद्धि होता है? गधे को मूर्ख मानना छोटी सोच है. कम से कम जम्मू कश्मीर सर्विसेज सेलेक्शन बोर्ड (JKSSB) ऐसा नहीं मानता. इसलिए उसने काचूर खार नाम के गधे को नायब तहसीलदार को 29 अप्रैल को होने वाली परीक्षा में शामिल होने का एडिमट कार्ड जारी कर दिया. यकीन न हो तो खुद देख लीजिए.

Advertisement

देखिए कार्ड पर काचूर खार नाम के इस नायब गधे की फोटो भी लगी है जिसे श्रीनगर के खनयार इलाके में गवर्नमेंट गर्ल्स हाई स्कूल में जाकर परीक्षा में शामिल भी होना है.

हमने इस खबर का वायरल टेस्ट करने का फैसला किया. इस खबर को लोग सोशल मीडिया पर खूब चटखारे लेकर साझा कर रहे थे. उम्मीद थी कि यही पता चलेगा कि किसी ने मजे लेने के लिए किसी सीधे सादे उम्मीवार की फोटो पर गधे की तस्वीर लगा कर इसे वायरल कर दिया होगा. लेकिन जब हमने JKSSB की वेबसाइट पर जाकर काचूर खार का नाम, पिता का नाम कृहन खार और जम्मदिन 1 जनवरी 1990 डाल कर देखा तो हैरान रह गए. यही नाम, इसी रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ JKSSB दर्ज था. यानि गधा वेबसाइट के भीतर भी मौजूद था.

हालांकि इस मामले पर फजीहत होने के बाद JKSSB ने अब काचून खार के एडमिड कार्ड को डाउनलोड करने पर अब रोक लगा दी है.

अब काचूर खार के बारे में हमारी दिलचस्पी और बढ़ गई. पता चला कि काचून खार का मतलब कश्मीरी में ब्राउन गधा होता है. काचून के पिता का नाम कृहुन खार है जिसका मतलब काला गधा होता है. लेकिन काचून खार ने JKSSB के वेबसाइट में अपना नाम दर्ज कराने में आखिर कामयाबी हासिल कैसे की.

Advertisement

खोजबीन से पता चला कि जम्मू कश्मीर में जानवरों के एडमिट कार्ड पाने का ये पहला वाकया नहीं है. इससे पहले काचिर गाव यानि सुनहरी गाय भी एडमिट कार्ड पा चुकी है. ये कमाल हुआ था 2015 में. जम्मू कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एग्जाम में जब पॉलिटेक्निक के डिप्लोमा की परीक्षा हो रही थी.

जब हमने इस बारे में  JKSSB के चेयरमैन सिमरनदीप सिंह से बात करने की तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. बात बिल्कुल साफ थी कि इस चूक से अधिकारी शर्मिंदा हैं और उनके पास देने को कोई जवाब नहीं है.

दरअसल एप्लिकेशन फार्म पर दी गई जानकारी और फोटो के आधार पर जानकारी को सिस्टम में डालने का काम कंप्यूटर और स्कैनर के जरिेए होता है. कायदे से किसी जिम्मेदार व्यक्ति को आवेदन पत्रों की जांच करनी चाहिए. लेकिन जम्मू कश्मीर में ऐसा नहीं हो रहा है. इसलिए किसी ने ये ठान लिया कि गधे की तस्वीर लगाकर सिस्टम को ही गधा साबित किया जाए.

वायरल टेस्ट में खबर सही निकली. चलते चलते ये बताना जरूरी है कि गधों की काबलियत के कृष्ण चंदर इस कदर कायल थे कि उन्होंने गधे पर तीन उपन्यास लिख डाले. एक उपन्यास का नाम है - गधे की वापसी. यानि अगर कश्मीर के अधिकारी नहीं संभले तो काचूर खार किसी नए नाम से फिर एडमिट कार्ड हासिल कर सकता है.

Advertisement

Advertisement
Advertisement