अलगाववादी नेता सैयद गिलानी की सियासी जिंदगी में कई विवाद आए. राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जब पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के साथ मनी लांड्रिंग मामले में गिलानी के बेटों के साथ पूछताछ की तो उनका नाम काफी चर्चा में आया. इसके अलावा पाकिस्तान ने अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से सैयद अली शाह गिलानी को नवाज कर कश्मीर के प्रोपेगेंडा को हवा देनी चाही. तब भी उनका नाम चर्चा में आया. ऐसे ही विवादों पर डालते हैं एक नजर.
1-मैं भारतीय नहीं'
सैयद अली शाह गिलानी जम्मू-कश्मीर के सोपोर में जन्म लेने के बावजूद खुद को भारतीय नहीं कहते थे. एक बार जब उन्होंने पासपोर्ट के लिए आवेदन दिया था तो उन्होंने राष्ट्रीयता के कॉलम को खाली छोड़ दिया था. बाद में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, "मैं जन्म से भारतीय नहीं हूं, हमारे ऊपर कब्जा किया गया है." इसके बाद विदेश विभाग ने उन्हें पासपोर्ट नहीं जारी किया था.
2-1981 में जब्त किया गया था पासपोर्ट
अलगाववादी गतिविधियों की वजह से भारत सरकार ने 1981 में उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया था और फिर उनका पोसपोर्ट सिर्फ एक बार 2006 में हज यात्रा के लिए लौटाया गया था.
3-'गुडविल स्कूल में न पढ़ें कश्मीरी बच्चे'
कट्टरपंथी रवैये के कारण सैयद अली शाह गिलानी भारत सरकार के द्वारा किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर देते थे. मई 2017 में जब सेना ने कश्मीरी बच्चों की शिक्षा के लिए गुडविल स्कूल खोला और इसमें कश्मीरी बच्चे आने लगे तो उन्होंने कश्मीरियों को भड़काना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा कि कश्मीरी बच्चे इस स्कूल में न पढ़ें.
4-अमरनाथ श्राइन बोर्ड को जमीन देने का विरोध
साल 2008 में जब भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने कश्मीर घाटी में तीर्थ यात्रियों की सुविधा बनाने के लिए एक अस्थायी निवास बनाने का फैसला लिया. इसके लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की 99 एकड़ जमीन अमरनाथ श्राइन बोर्ड को ट्रांसफर करने का फैसला लिया गया. सैयद अली शाह गिलानी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया और इसके खिलाफ घाटी में रैलियां आयोजित कीं. बाद में बोर्ड को 40 हेक्टेयर जमीन दी गई.
5-पाकिस्तान का निशान-ए-पाकिस्तान प्रोपेगेंडा
पिछले साल पाकिस्तान ने अपने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सैयद अली शाह गिलानी को अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का ऐलान किया था. हालांकि गिलानी ने इस सम्मान को खुद लेने से इनकार कर दिया था. तब उनकी जगह हुर्रियत नेताओं से ये सम्मान लिया था.
6-आतंकियों को दी थी श्रद्धांजलि
सैयद अली शाह गिलानी ने त्राल में साल 2015 में सेना के साथ मुठभेड में मारे गए दो आतंकियों को श्रद्धांजलि देकर विवाद खड़ा कर दिया था. इस मुठभेड़ में सेना के एक जवान और एक पुलिसकर्मी शहीद हो गया था. तब नेशनल पैंथर्स पार्टी ने गिलानी के इस कदम की आलोचना की थी और कहा था कि गिलानी जैसे लोग जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को हवा दे रहे हैं.
7-टेरर फंडिंग की जांच में नाम
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने टेरर फंडिग केस की जांच में सैयद अली शाह गिलानी का नाम लिया था. NIA ने दावा किया था कि गिलानी और मीरवाइज उमर फारुक घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा रहे हैं. हालांकि NIA ने इस केस में इन्हें आरोपी नहीं करार दिया था.
8- NIA ने बेटे से की पूछताछ
टेरर फंडिंग केस में NIA ने फरवरी 2019 में सैयद अली शाह गिलानी के बेटे के घर छापेमारी की थी. तब भी गिलानी का नाम चर्चा में आया था. सैयद अली शाह गिलानी के दो बेटे हैं, नईम और नसीम. बड़े बेटे नईम डॉक्टर हैं जबकि छोटा बेटा नसीम जम्मू-कश्मीर सरकार में नौकरी करते हैं. टेरर फंडिंग के मामले में NIA ने दोनों बेटों से पूछताछ की है.