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तालिबान कश्मीर पर क्या सोचता है, भारत के लिए कितना खतरनाक?

तालिबान की ओर से इशारा किया जा चुका है कि कश्मीर से उसका कोई लेना-लेना नहीं है, यह भारत का आंतरिक मामला है और उस पर उसका ध्यान नहीं है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि तालिबान के गुजरे हुए कल को देखते हुए उसके बयान पर भरोसा करना मुश्किल है.

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सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
सांकेतिक तस्वीर (पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तालिबान ने कश्मीर को द्विपक्षीय और आंतरिक मुद्दा बताया
  • भारत को जम्मू-कश्मीर के लिए सावधान रहने की जरूरत- सूत्र
  • PM मोदी ने अफगान मसले पर मंगलवार को की अहम बैठक

अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान अब तक बेहद संयमित व्यवहार कर रहा है और जिस तरह से अपने यहां के लोगों के साथ नरमी बरते जाने की बात कह रहा है. उसी तरह वह अपने पड़ोसी देशों के साथ पेश आने के आसार हैं. सूत्र बताते हैं कि तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट किया है कि उनका ध्यान कश्मीर पर नहीं है. हालांकि भारत कश्मीर पर सुरक्षा बढ़ाएगा.

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समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि तालिबान ने कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट किया है. यह इसे एक द्विपक्षीय, आंतरिक मुद्दा मानता है और उनका ध्यान कश्मीर पर नहीं है.

इस बीच अफगानिस्तान के हालात को लेकर चर्चा करने के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी की अहम बैठक बुलाई. इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शामिल हुए. सूत्र बताते हैं कि बैठक में हालात और सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई.

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तालिबान की ओर से इशारा किया जा चुका है कि कश्मीर से उसका कोई लेना-लेना नहीं है, यह भारत का आंतरिक मामला है और उस पर उसका ध्यान नहीं है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि तालिबान का गुजरे हुए कल को देखते हुए उसके बयान पर भरोसा करना मुश्किल है.

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अफगानिस्तान में बदले हालात को देखते हुए एएनआई ने सूत्रों का हवाला देते हुए कहा, 'जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चौकसी और बढ़ाई जाएगी हालांकि चीजें नियंत्रण में हैं और अफगानिस्तान में पाकिस्तान स्थित समूहों के पास स्थिति का उपयोग करने की बहुत कम क्षमता है.'

एएनआई ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि बदले हालात ने भारत के लिए सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर दिया है क्योंकि लश्कर-ए-तैयबा और लश्कर-ए-झांगवी जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की अफगानिस्तान में कुछ उपस्थिति है. उन्होंने तालिबान के साथ कुछ गांवों और काबुल के कुछ हिस्सों में चेक पोस्ट भी बनाए हैं.

अधिकारी ने आगाह करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में पाकिस्तानी संगठनों के शिविर हैं और भारत को जम्मू-कश्मीर के लिए सावधान रहने की जरूरत है.

 

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