टेरर फंडिंग (Terror Funding) मामले में शनिवार से ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जम्मू-कश्मीर के 50 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. NIA से जुड़े सूत्रों ने बताया कि टेरर फंडिंग केस में ये अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन है. जानकारी के मुताबिक, इस मामले में NIA जम्मू-कश्मीर के 14 से ज्यादा जिलों में छापेमारी कर रही है, जिसमें जम्मू भी शामिल है.
सूत्रों के मुताबिक, ये छापेमारी जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-E-Islami) के ठिकानों पर की जा रही है. केंद्र सरकार ने 2019 में इस संगठन पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी जम्मू-कश्मीर में संगठन की गतिविधियां चल रही थीं. जमात एक पाकिस्तान और अलगाववाद समर्थक संगठन है, जो प्रतिबंध के बावजूद काम कर रहा है.
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बताया जा रहा है कि इस छापेमारी में एक आईजी, दो डीआईजी और 6 एसपी रैंक के अधिकारी शामिल हैं. NIA की ये छापेमारी 14 जिलों के 50 से ज्यादा ठिकानों पर हो रही है. इनमें श्रीनगर, बड़गाम, गंदरबाल, बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोर, अनंतनाग, शोपियां, पुलवामा, कुलगाम, रामबाण, दोडा, किश्तवाड़ और राजौरी शामिल है. इसे अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि NIA ने गंदरबाल में जमात के जिला अध्यक्ष के घर पर भी दबिश दी है. इसके अलावा जमात से जुड़े कई लोगों के यहां भी छापामारी की जा रही है.
छापेमारी की वजह क्या है?
गृह मंत्रालय (MHA) से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जमात हेल्थ और एजुकेशन करने के नाम पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के जरिए दुबई और तुर्की जैसे देशों से फंडिंग ले रहा था और उसका इस्तेमाल आतंक के लिए कर रहा था. बताया जा रहा है कि जमात लश्कर, हिज्बुल मुजाहिद्दीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को फंडिंग करने की फिराक में था.
गृह मंत्रालय को खुफिया एजेंसियों ने बताया था कि जम्मू-कश्मीर से 370 हटने के बाद पत्थरबाजी और आतंकी घटनाओं में कमी आई है और जमात फिर से आतंक फैलाना चाहता था. बताया जा रहा है कि हाल ही में जमात ने नए अलगाववादियों और आतंकियों की भर्ती के लिए एक सीक्रेट मीटिंग भी की थी. इसके चलते ही गृह मंत्रालय ने जमात की फंडिंग की जांच का जिम्मा NIA को सौंपा.