जम्मू-कश्मीर में पिछले एक महीने के भीतर आतंकी घटनाओं में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान आतंकवादियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया, जिनमें 12 जवान शहीद हुए हैं और 9 आम नागरिकों की मौत हुई है. इसके बाद से देश के सुरक्षा तंत्र को लेकर तमाम सवाल उठने लगे हैं. वहीं देश में एक बार फिर आतंक पर सर्जिकल स्ट्राइक की मांग भी तेज हो गई है. इस सबके बीच सुरक्षबलों को चौंकाने वाली जानकारी मिली है.
बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों पर हमलों की जिम्मेदारी लेने के लिए आतंकी संगठनों द्वारा रेजिस्टेंस फ्रंट, पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट, कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स जैसे नामों के बाद अब कश्मीर टाइगर्स नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है. जैश और लश्कर जैसे आतंकी संगठन सुरक्षाबलों की जांच को प्रभावित करने के लिए इस रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं, इससे पहले भी आतंकी संगठन इस तरह की रणनीति अपना चुके हैं.
दरअसल, जम्मू में हाल ही में आतंकवाद में बढ़ोतरी देखी गई है, जहां आतंकवादियों द्वारा विभिन्न स्थानों पर कई घातक हमले किए गए हैं. हालिया हमला डोडा में हुआ था, जहां घने जंगलों में सेना के एक सर्च दल पर आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया था. इस हमले में एक अधिकारी सहित चार जवान शहीद हो गए. जवाबी कार्रवाई के लिए सुरक्षाबलों ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया था. अज्ञात आतंकी संगठन कश्मीर टाइगर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और भविष्य में सेना पर और ऐसे हमले करने की चेतावनी दी है.
पुलिस जांच को गुमराह करने के लिए अपनाई जा रही रणनीति
पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यह जैश-ए-मोहम्मद ही है, जो भ्रम पैदा करने और पुलिस जांच को गुमराह करने के लिए ऐसी रणनीति का इस्तेमाल कर रहा है. दिसंबर 2021 में कश्मीर टाइगर्स नाम पहली बार तब सामने आया था, जब संगठन ने दावा किया था कि उसके कैडर ने श्रीनगर के बाहरी इलाके में पुलिस पर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में 3 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे, जबकि 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना के कुछ महीने बाद, दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड हमले की जिम्मेदारी फिर से इसी संगठन ने ली थी. हालांकि उसके बाद 3 साल तक संगठन खामोश रहा. अब जब जम्मू में एक के बाद एक आतंकी हमले हुए तो कश्मीर टाइगर्स फिर से चर्चा में आ गया है.
दूसरे नाम से हमलों की जिम्मेदारी ले रहे आतंकी संगठन
पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की है कि जैश फिर से इन घातक हमलों के लिए इस नाम का इस्तेमाल कर रहा है. नाम न छापने की शर्त पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए जैश और लश्कर द्वारा एक सोची-समझी योजना बताया. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब आतंकी संगठन झूठे नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह पहली बार नहीं है जब आतंकवादी संगठन दूसरे नामों का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह योजना पहले भी अपनाई जा चुकी है. इससे पहले कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स, पीएएफएफ जैसे नामों का भी इस्तेमाल किया गया है, और सुरक्षा बलों को इस योजना के बारे में पता है.
नाम बदलकर हमलों की जिम्मेदारी लेने की रणनीति का एक बड़ा कारण भ्रम पैदा करना और पुलिस जांच में बाधा डालना है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि एक अन्य महत्वपूर्ण कारण यह है कि आतंकी हमले को स्थानीय टच देने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि कश्मीर टाइगर्स यह धारणा बनाएंगे कि ये स्थानीय आतंकवादी ही सक्रिय हैं और इन हमलों को अंजाम दे रहे हैं.
पिछले एक महीने में कब-कब हुए आतंकी हमले-
रियासी में बस पर हुआ था अटैक: कटरा के रियासी इलाके में तीर्थयात्रियों को माता वैष्णो देवी मंदिर लेकर जा रही 53 सीटर बस पर 9 जून की शाम आतंकियों ने हमला किया था. इसके बाद बस खाई में गिर गई थी, जिसमें एक नाबालिग समेत 9 लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए थे. बस में उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली के तीर्थयात्री सवार थे. बस पर हमले करने वाले आतंकी पहाड़ी इलाके में छुपे हुए थे.
कठुआ में एक जवान हुआ था शहीद: 11 जून को जम्मू कश्मीर के कठुआ के एक गांव में आतंकी घुस आए थे. इसके बाद आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ में दो आतंकियों को ढेर कर दिया गया था. कठुआ जिले के गांव में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षाबलों का ऑपरेशन शुरू हुआ था. इस जिले के हीरानगर सेक्टर के सैदा सुखल गांव पर आतंकियों ने हमला किया था. सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में सीआरपीएफ का एक जवान भी शहीद हुआ था.
डोडा में मारा गया था एक आतंकी: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर 12 जून को आतंकियों ने गोलीबारी की थी. इस दौरान सेना के दो जवान घायल हो गए थे. मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था. इसके साथ ही एक नागरिक घायल भी हो गया था. रियासी और कठुआ के बाद जम्मू इलाके में यह तीन दिनों में तीसरा आतंकी हमला था.
कुलगाम में मुठभेड़ में 2 जवान शहीद: जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के दो गावों में 6 जुलाई को हुए एनकाउंटर में 2 जवान शहीद हो गए थे. इनमें से एक एनकाउंटर कुलगाम ले के चिनिगाम में तो वहीं दूसरा अभियान मोदरगाम गांव में हुआ था. गोलीबारी में लांस नायक प्रदीप नैन (पैरा कमांडो) और आरआर के हवलदार राज कुमार शहीद हुए थे.
राजौरी में सेना के शिविर पर अटैक: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) के राजौरी में 7 जुलाई को सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ था. इस अटैक में आर्मी का एक जवान घायल हो गया था. आतंकवादियों ने सेना के शिविर पर गोलीबारी की थी. इस दौरान सतर्क सुरक्षा चौकी पर तैनात जवान ने आतंकियों पर भी गोलीबारी की थी. घटना के दौरान सेना का जवान घायल हो गया था. हालांकि, आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे थे.
कठुआ में सेना की गाड़ी पर हुआ था अटैक: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 जुलाई को आतंकियों ने आतंकी हमला किया था, जिसमें पांच जवान शहीद हो गए थे. आतंकियों ने शाम के समय सेना के वाहन पर हमला किया था. इस दौरान आतंकियों ने सेना की गाड़ी पर ग्रेनेड भी फेंका था और अंधाधुंध फायरिंग की थी. इस हमले को दो से तीन आतंकियों के अंजाम देने की बात सामने आई थी.
नौशेरा में उलटे पांव भागे थे आतंकी: राजौरी के नौशेरा सेक्टर में 10 जुलाई को आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी. संदिग्ध आतंकियों के एक ग्रुप ने रात के समय भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की थी, लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाए थे और उन्हें उलटेपांव भागना पड़ा था.
नौशेरा में 16 जुलाई को फिर हुआ हमला: 10 जुलाई को नौशेरा में आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, हालांकि वह नाकामयाब रही. लेकिन 16 जुलाई को आतंकियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के 4 जवान शहीद हो गए और एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई.