जम्मू-कश्मीर के नौहट्टा में डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. अयूब नौहट्टा की मशहूर जामा मस्जिद के बाहर ड्यूटी पर तैनात थे. सूत्रों के मुताबिक, लोगों ने जब अयूब पंडित को पकड़ने की कोशिश की तो उन्होंने अपने बचाव में पिस्तौल से गोलियां चलानी शुरू कर दी, जिससे तीन लोग घायल हो गए. इसके बाद, भीड़ ने उनकी हत्या कर दी.
भीड़ के द्वारा उठाया गया कदम बिल्कुल भी एक अचानक कदम नहीं लगता है, यह एक प्री-प्लानड साजिश थी. ऐसा लगता है कि भीड़ जानबूझ कर मजलिस से पहले इस तरह का माहौल बनाना चाहती थी.
पिछले 6 महीनों में ऐसी कई वारदातें सामने आई हैं जहां भीड़ ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाया हैं. आखिर क्या वजह है कि कश्मीर की जनता खुद की ही सुरक्षा करने वालों की जान लेने पर आतुर हो गई है.
आइए डालते हैं एक नज़र
हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. अब अक्सर आतंकियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हमला करने, पुलिस कर्मियों के हथियार लूट लेने या अन्य वारदात करने की खबरें आ रही हैं. खासकर आतंकियों के सुरक्षा बलों पर हमले बढ़े हैं. इस महीने सुरक्षा बलों पर आतंकी हमलों की कई दुखद घटनाएं देखी गईं.
3 जून को सेना का काफिला जम्मू से श्रीनगर की ओर जा रहे थे, तभी जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर काजीगुंड के पास आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी.
इसके बाद 5 जून को तड़के सुबह बांदीपुरा में सीआरपीएफ के कैंप पर चार फिदायीन आतंकियों ने हमला कर दिया था. जिन्हें सीआरपीएफ के जवानों ने एनकाउंटर में मार गिराया.
फिरोज़ अहमद डार की हत्या
इसके बाद 16 जून को उत्तरी कश्मीर के अनंतनाग में पुलिस दल पर घात लगाकर किए गए आतंकी हमले में एक एसएचओ फिरोज़ अहमद डार समेत छह पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के चेहरे पर भी गोलियां मारीं और उनके हथियार छीनकर फरार हो गए.
दरअसल इस हत्या के पीछे बताया जाता है कि सुरक्षा बलों ने दक्षिण कश्मीर के बिजबहेड़ा इलाके में लश्कर कमांडर मट्टू समेत 3 आतंकवादियों को एक मुठभेड़ में मार गिराया था.
हाल के दिनों में जम्मू कश्मीर में आतंकी घुसपैठ और हमले की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है.
पिछले साल हिज्बुल आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से कश्मीर वादी सुलग रही है. उसके बाद से उरी के सेना कैंप पर हमला सबसे बड़ी आतंकी वारदात थी.
12 फरवरी को कुलगाम में हुई मुठभेड़ में 4 आतंकी मारे गए, 2 नागरिक और सैनिक भी शहीद. मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों से हुई झड़पों में 24 लोग घायल.
14 फरवरी को उत्तरी कश्मीर में 2 बड़े एनकाउंटर, 4 आतंकी मारे गए, 4 सैनिक भी शहीद, मरने वाले आतंकियों में लश्कर के 2 बड़े कमांडर शामिल.
23 फरवरी को शोपियां जिले में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर हमला बोला, मुठभेड़ में 3 जवान शहीद, 1 महिला नागरिक की मौत.
4 मार्च को शोपियां में 12 आतंकियों की टीम ने एक पुलिसवाले के घर में की तोड़फोड़.
बढ़ रही है पत्थरबाज़ों की संख्या
कश्मीर में आतंकी ऑपरेशन के दौरान हुई पत्थरबाज़ी में सीआरपीएफ के अब तक 55 और जम्मू-कश्मीर पुलिस के 20 जवान घायल हो गए. पत्थरबाजों ने 24 गाड़ियों को भी तोड़ दिया.
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान पत्थरबाज़ी
सीआरपीएफ की रिपोर्ट के मुताबिक 28 मार्च को तड़के 3 बजे बडगाम के एसपी को जानकारी मिली कि एक घर में आतंकी छिपा है.
सूचना मिलते ही 4.30 बजे पूरे इलाके को संयुक्त सुरक्षा बलों की टीम ने घेर लिया गया. 5.30 बजे आतंकी को मारने का ऑपरेशन शुरू हुआ, पर आम जनता 7 बजे तक आने लगी और 10 बजे तक पूरे इलाके में 8 से 10 किलोमीटर की दूरी के गांव के लोग आकर पत्थरबाज़ी करने लगे.
पत्थरबाज़ी रोकने के लिए तैनात करनी पड़ी टीम
एनकाउंटर के दौरान और एनकाउंटर के बाद सुरक्षा बलों पर भयंकर पत्थर बाजी हुई जिससे अब तक 55 सीआरपीएफ और 20 से ज्यादा लोकल पुलिस के जवान घायल हो गए.
आलम ये था कि एनकाउंटर खत्म होने के बाद भी सीआरपीएफ को अपने कैंप तक पहुंचने में 6 से 7 घंटे लगे. मसलन पूरे इलाके में पहली बार इतने बड़े स्तर पर स्थानीय लोगों ने पत्थरबाज़ी की.
सुरक्षा एजेंसियां इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पत्थरबाज़ी जो पहले शहरों तक थी, बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद अब छोटे-छोटे गांवो निकलकर लोग पत्थरबाज़ी कर रहे हैं.