सेना के मेजर के खिलाफ FIR दर्ज करने के मामले से केंद्र सरकार और बीजेपी ने पल्ला झाड़ लिया है. शोपियां में सेना के मेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि उनको इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं हैं. हालांकि उन्होंने कश्मीर घाटी में सेना का खुलकर समर्थन जरूर किया. उन्होंने कहा कि घाटी में सेना में अच्छा काम कर रही है. हमें उनको प्रोत्साहित करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि हमने युवाओं को पहले ही कह दिया है कि वो सेना के ऑपरेशन में दखल न दें. हम सब की सुरक्षा के लिए सेना काम कर रही है. पूरे देश को उनका ऋणी होना चाहिए. इसके अलावा मेजर पर FIR दर्ज करने के मामले में बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम ने कहा कि कश्मीर में जिस परिस्थिति में सेना काम कर रही हैं, उसके लिए उसकी तारीफ की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि अगर सेना के किसी अफसर पर एफआईआर दर्ज हुई है, तो यह राज्य का मामला है. जो भी इस मामले पर संज्ञान लेना होगा, वो राज्य सरकार जरूर लेगी. बीजेपी हमेशा सेना के साथ खड़ी रही है और आज भी है. विपक्ष का काम सिर्फ आरोप लगना है. हमारी सरकार वहां की जनता के हितों के लिए अच्छा काम रही, जिससे विपक्ष को समस्या हो रही है.
दरअसल, शनिवार को जम्मू-कश्मीर के शोपियां के गानोपोरा गांव में सेना के काफिले पर भीड़ ने हमला कर दिया था, जिसके बाद सेना की जवाबी फायरिंग में दो युवा प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी और आठ प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. इस मामले में पुलिस ने सेना के मेजर आदित्य और 10 गढ़वाल राइफल के एक जवान के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है.
इसको लेकर राज्य में गठबंधन सरकार चला रहे पीडीपी और बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं. जहां सीएम महबूबा मुफ्ती सेना के मेजर पर एफआईआर के पक्ष में हैं, तो वहीं बीजेपी ने एफआईआर से मेजर का नाम हटाने की मांग की है. सोमवार को विधानसभा में महबूबा मुफ्ती ने कहा कि रक्षामंत्री से बात करने के बाद ही सेना के अफसर पर केस दर्ज किया गया. साथ ही मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट 20 दिनों में आएगी.
इसी मुद्दे को लेकर विधानसभा में जमकर हंगामा भी हुआ. सदन में बीजेपी ने एफआईआर से मेजर का नाम हटाने की मांग की. बीजेपी का कहना है कि इससे सेना का मनोबल गिरेगा. इसके अलावा विधानसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सरकार को घेरा. उन्होंने कहा, ''अगर मेजर के खिलाफ एफआईआर है तो फिर मजिस्ट्रियल जांच की क्या जरूरत?' उमर ने कहा कि सेना की ओर से गोलियां सीने पर चलाई गईं, इससे पता चलता है कि स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास नहीं किए गए. मैं निवेदन करता हूं कि इस मामले पर पर राजनीति न करें.''