हिंदू महासभा ने कश्मीर सरकार द्वारा पत्थरबाजों का केस वापस लिए जाने पर कड़ी निंदा की है. महासभा ने सरकार के इस फैसले को कायराना कृत्य बताया है. बता दें कि शनिवार को जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षाबलों पर पथराव करने वाले 9730 पत्थरबाजों का केस वापस लेने की मंजूरी दी थी.
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बता दें कि महबूबा मुफ्ती शुरू से ही पत्थर बरसाने वाले कश्मीर के युवाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने की हिमायत करती आ रही हैं, जिस पर महासभा ने कहा कि जम्मू कश्मीर की बीजेपी गठबंधन सरकार द्वारा देश विरोधी नारे लगाने और सैनिकों पर पत्थर मारने वाले दस हजार पत्थरबाजों का केस वापस लिया जाना कायराना कृत्य है.
गौरतलब है कि ये मामले की पड़ताल के लिये गठित एक समिति की सिफारिशों पर आधारित है. मुफ्ती ने कहा कि उनकी सरकार ने 4000 से अधिक लोगों को आम माफी देने की सिफारिश की है. ये लोग पिछले दो वर्षों में पथराव जैसी मामूली घटनाओं में शामिल रहे हैं.
विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में मुफ्ती ने कहा कि वह पहली बार अपराध में शामिल लोगों के ब्योरे का खुलासा ऐसे लोगों और उनके परिवार की सुरक्षा की वजह से नहीं करेंगी. उन्होंने कहा कि 2016 और 2017 के बीच 3773 मामले दर्ज किये गए. इनमें 11 हजार 290 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. 233 का अब तक पता नहीं लगा है. सात मामले स्वीकार नहीं किये गए और 1692 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए, जबकि 1841 मामलों में जांच चल रही है. महबूबा मुफ्ती के पास गृह विभाग भी है.
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गौरतलब है कि साल 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को सेना ने मार गिराया था, जिसके बाद घाटी में काफी अशांति फैल गई थी और सुरक्षाबलों पर पथराव के मामले भी सामने आए.