विश्व में एक और अजूबा होने वाला है और वह भी भारत में. दरअसल, जम्मू-कश्मीर में चेनाब नदी के ऊपर विश्व का सबसे बड़ा पुल बनने जा रहा है. काम जारी है और इस पुल को पूरी तरह तैयार होने में अभी कम से कम तीन साल और लगेंगे.
रेलवे अधिकारियों की मानें तो यह पुल दिल्ली के कुतुब मीनार से 5 गुणा ज्यादा ऊंचा होगा. यह पेरिस के एफिल टावर से भी ऊंचा है. उम्मीद है कि दिसंबर 2016 में इस पुल को पूरा कर लिया जाएगा.
यह पुल बारामूला को उधमपुर-कटरा-काजीगंद के रास्ते जम्मू से जोड़ेगा. इस पुल से होकर बारामूला से जम्मू तक का रास्ता तकरीबन साढ़े छह घंटे में तय किया जा सकेगा. अभी यह रास्ता तय करने में दोगुना समय (13 घंटे) लगता है.
इस पुल को बनाने का काम अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते 2002 में शुरू हुआ था. परंतु 2008 में इसे असुरक्षित करार देते हुए इस पर काम रोक दिया गया. हालांकि 2010 में पुल का काम फिर से शुरू कर दिया गया है. यह पुल अब एक नेशनल प्रोजेक्ट घोषित हो चुका है.
कई दिक्कतें आ रही हैं सामने
दक्षिण रेलवे में इस प्रोजेक्ट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी बी डी गर्ग ने बताया कि इतनी अधिक ऊंचाई पर पुल का निर्माण करने में कई तरह की दिक्कते सामने आ रही हैं. सबसे बड़ी समस्या यहां के मौसम की है. हिमालयन रेंज होने के चलते यहां का मौसम पल भर में करवट ले लेता है. बहुत अधिक ऊंचाई पर तेज हवाओं का बहाव लगातार जारी रहता है. गर्ग ने बताया कि यह प्रोजेक्ट एफ्कॉन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सौंपा गया है. इसके अलावा डेनमार्क से एक सलाहकार एजेंसी की नियुक्ति भी इस प्रोजेक्ट के लिए की गई है.
इस प्रोजेक्ट में अतिरिक्त लागतें भी आ रही हैं. इस पुल के आस-पास ढाई सौ किलोमीटर की सड़क का निर्माण भी रेलवे की ओर से किया जा रहा है. इस सड़क पर लगभग 2 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी.
इस पुल के निर्माण में स्टील प्लेट्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के भिलाई प्लांट से मंगाई जा रही हैं तो ग्रिडर्स पुल के पास ही बनाए गए फेब्रिकेशन वर्कशॉप में तैयार किए जा रहे हैं. एफ्कॉन के जीएम सौमेंद्रा रॉय चौधरी के अनुसार, प्रत्येक ग्रिडर प्लेट 8 मीटर लंबी होती है और यहां लगभग 161 ग्रिडर्स की जरूरत होगी. चूंकि पुल घुमावदार है तो ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है. जिस तकनीक के साथ यह पुल बनाया जा रहा है, वह अपने आप में खास है. पूरे देश में इस शैली के सिर्फ 6 ही पुल हैं.