जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. जिसके बाद कोर्ट ने यासीन मलिक को 22 अप्रैल तक के लिए एनआईए की हिरासत में भेज दिया है.
Kashmiri Separatist leader Yasin Malik formally arrested by NIA in courtroom in connection with 2017 terror financing and terror conspiracy case. Court sends him on NIA remand till 22nd April. (File pic) pic.twitter.com/qnDpQyRaIz
— ANI (@ANI) April 10, 2019
सूत्रों के मुताबिक खबर है कि एनआईए यासीन मलिक और मीरवाइज उमर फारुक को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करेगी. बता दें कि यासीन मलिक को ममंगलवार को जम्मू के कोट बलवल जेल से दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. मलिक को टेरर फंडिंग केस में बुधवार को दिल्ली ककी पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया.
सुरक्षा कारणों को देखते हुए यासीन को तिहाड़ जेल में ट्रांसफर किया गया है. यासीन मलिक पर जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों और अलगाववादियों को फंड देने का आरोप है. इससे जुड़े केस में फिलहाल वह सलाखों के पीछे है.
जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को पिछले महीने गिरफ्तार किया गया था और जम्मू के कोट बलवल जेल में डाला गया था. उससे बुधवार को एनआईए टेरर फंडिंग केस में पूछताछ करेगी. मलिक के खिलाफ सीबीआई ने भी जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट में अर्जी डाली है और उसे तकरीबन तीन दशक पुराने मामलों में आरोपित किया है. हाईकोर्ट ने सीबीआई की अर्जी पर फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
यासीन मलिक पर कई आपराधिक धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं. 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद का अपहरण और 1990 में भारतीय वायु सेना के चार जवानों की हत्या के मामले इसमें प्रमुख हैं. एनआईए ने अभी हाल में जम्मू स्थित विशेष अदालत में गुहार लगाई थी कि टेरर फंडिंग केस में यासीन मलिक से पूछताछ के लिए उसे रिमांड पर दिया जाए. एनआईए कई घटनाओं की कड़ियों को जोड़ते हुए यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि घाटी में आतंकी गतिविधियों, सेना के जवानों पर पत्थरबाजी और स्कूल-कालेज सहित सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले में यासीन मलिक का क्या हाथ है.
एनआईए ने अपने केस में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद का भी नाम शामिल है. इसके अलावा एनआईए के मुकदमे में सैयद अली शाह गिलानी का धड़ा हुर्रियत कॉन्फ्रेंस, मीरवाइज उमर फारूक, हिजबुल मुजाहिदीन और दुख्तरान-ए-मिल्लत के नाम भी हैं. अभी कुछ दिन पहले ही यासीन मलिक के संगठन जेकेएलएफ को केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया है. गृह सचिव राजीव गॉबा ने कहा कि आतंकवाद के गंभीर आरोप के मद्देनजर सरकार ने जेकेएलएफ (यासीन मलिक गुट) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. उसे गैरकानूनी गतिविधियां निवारक अधिनियम के तहत गैरकानूनी घोषित किया गया है. इस संगठन के बारे में कहा जाता है कि वह जम्मू एवं कश्मीर की 'आजादी' का समर्थन करता है.
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया कि कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकालने का यासीन मलिक मास्टरमाइंड रहा है और उनके संहार के लिए जिम्मेदार है. जेकेएलएफ को भारतीय वायुसेना के चार अफसरों की हत्या का इलजाम लगता रहा है. साथ ही उस पर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप लगा था. इससे पहले केंद्र ने जम्मू कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था.