झारखंड के देवघर में त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन अब खत्म हो गया है. 40 घंटे से भी ज्यादा समय तक रोपवे की ट्रॉलियों में फंसे 48 में से 45 लोगों को एयरफोर्स ने सुरक्षित निकाल लिया है.
हालांकि इस दौरान कुल तीन लोगों की जान चली गई. मंगलवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हेलिकॉप्टर की रस्सी केबिन में फंसने से एक महिला नीचे गिर गई. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
सोमवार को भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हेलिकॉप्टर तक पहुंचने से पहले एक शख्स की गिरने से मौत हो गई थी. रोपवे के ट्रॉलियों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए एयरफोर्स, इंडियन आर्मी, एनडीआरएफ, आईटीबीपी की टीमों को लगाया गया था. ज्यादा ऊंचाई और हवा के दबाव की वजह से सुरक्षाबलों के लिए ये ऑपरेशन काफी कठिन था.
मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के फिर से शुरू होने के बाद रोपवे की ट्रालियां में फंसे 15 लोगों में से 10 लोगों को सुबह-सुबह सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था. इसके बाद 5 जिंदगियां हवा में अटकीं हुई थी जिसे बचाने के लिए वायुसेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के जवान लगातार काम कर रहे थे.
बता दें कि रविवार को रामनवमी के मौके पर सैकड़ों लोग त्रिकूट पर्वत पर घूमने गए थे और वो रोपवे पर सवार होकर पहाड़ पर बने मंदिर की तरफ जा रहे थे. इसी दौरान अचानक रोपवे की ट्रॉलियां एक दूसरे से टकरा गईं जिससे यह हादसा हुआ.
हादसे के बाद एक शख्स ने बताया था कि जब एक ट्रॉली ऊपर चढ़ रही थी और दूसरी ट्रॉली नीचे आ रही थी, इसी दौरान दोनों ट्रॉलिया में टक्कर हो गई. दो ट्रॉलियों के टकराने के बाद अन्य ट्रॉलियां भी डिस्प्लेस होकर पत्थर से टकरा गईं.
इस रोपवे का संचालन दामोदर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी करती है. उसके जनरल मैनेजर महेश महतो के अनुसार, रोपवे दुर्घटनाग्रस्त होने से 8 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे जिसमें इलाज के दौरान एक की मौत हो गई थी.
देवघर के त्रिकूट पर्वत पर हुए रोपवे हादसे पर झारखंड हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.
रोपवे हादसे के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं. उन्होंने कहा है कि घायलों और पीड़ितों की इस मामले में हर संभव मदद की जाएगी.