झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन ने बुधवार को चेतावनी भरे स्वर में दो टूक कहा कि बीजेपी के साथ राज्य में चल रही गठबंधन सरकार का 28 महीने का कार्यकाल जनवरी में पूरा होने के बाद राज्य में झामुमो के नेतृत्व में सरकार का गठन होगा, लेकिन यदि इसके लिए बीजेपी नहीं राजी होगी तो झामुमो संप्रग (यूपीए) के साथ भी गठबंधन कर सकता है.
झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन ने रांची से सवा सौ किलोमीटर दूर बोकारो में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चेतावनी भरे स्वर में कहा कि अगले वर्ष जनवरी में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली सरकार का 28 महीने का कार्यकाल पूरा होने के बाद झारखंड में हर हाल में झामुमो के नेतृत्व में नयी सरकार का गठन होगा.
उन्होंने एक बार फिर दावा किया कि 11 सितंबर, 2010 को अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में राज्य में गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के पहले भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ झामुमो का 28-28 माह के लिए यहां सरकार के गठन का समझौता हुआ था और इसका सम्मान सभी दलों को करना होगा.
इस बीच एक बार फिर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी ने स्पष्ट किया कि झामुमो के साथ राज्य में सरकार चलाने के लिए 28-28 माह या 56 माह सरकार चलाने का कोई समझौता नहीं हुआ था.
दूसरी ओर कांग्रेस के राज्य में विधायक दल के नेता राजेन्द्र सिंह ने झामुमो की मांग को हवा देते हुए स्पष्ट किया कि यदि वर्तमान सरकार गिरती है तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने की नौबत नहीं आयेगी और कांग्रेस वैकल्पिक सरकार बनाने में मदद करेगी.
शिबू सोरेन ने दावा किया कि बीजेपी के साथ सितंबर, 2010 में गठबंधन बनाते समय 28-28 माह सरकार चलाने का समझौता हुआ था और इसके अनुसार मुंडा सरकार का 28 माह का कार्यकाल अगले वर्ष जनवरी में पूरा होने के बाद अब झामुमो की सरकार चलाने की बारी है.
यह पूछे जाने पर कि यदि बीजेपी सत्ता परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुई तो झामुमो क्या करेगी, उन्होंने कहा, ‘हम अन्य विकल्पों की तलाश करेंगे जिनमें यूपीए के साथ गठबंधन बनाना भी शामिल है अन्यथा हम चुनावों में भी जा सकते हैं.’ शिबू सोरेन ने स्पष्ट किया कि सरकार बनाने के लिए उनकी पार्टी किसी भी अन्य दल के साथ समझौता कर सकती है.
पिछले लगभग दो माह से शिबू सोरेन बार बार एक ही बात दोहरा रहे हैं कि राज्य में 28 माह बाद सत्ता परिवर्तन होगा ही लेकिन पहले के अवसरों पर उनके बेटे और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मामले को संभाल लिया था और ऐसे किसी समझौते से इनकार कर मामले को रफा दफा कर दिया था. इस बार पिछले तीन दिनों में शिबू सोरेन के बेटे और उपमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपने पिता के दावे को सही बताया है और अभी मंगलवार को धनबाद में उन्होंने दो टूक कहा, ‘यदि गुरु जी यह कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ आधे आधे समय के लिए राज्य सरकार के गठन का समझौता हुआ था तो वह ठीक ही कह रहे हैं. इसके खिलाफ किसी अन्य झामुमो नेता के बोलने का सवाल ही नहीं पैदा होता है.’
हेमंत ने कहा कि इस समझौते का पालन करते हुए मुंडा को जनवरी में मुख्यमंत्री की कुर्सी झामुमो के लिए छोड़ देनी चाहिए. इस बीच शिबु सोरेन के बयानों से बीजेपी और झामुमो में बढ़ती दरार का लाभ उठाने की ताक में बैठी कांग्रेस के विधायक दल के नेता राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अर्जुन मुंडा सरकार के गिरने की स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगने दिया जायेगा.
सिंह ने झामुमो को चारा डालते हुए कहा कि कांग्रेस राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगने देगी और वैकल्पिक सरकार के लिए अन्य दलों को समर्थन दे सकती है. इससे पूर्व कांग्रेस का स्पष्ट मत रहा है कि वह झामुमो के साथ राज्य में गठबंधन सरकार नहीं बनायेगी लेकिन उसकी स्थिति में बदलाव से राज्य के राजनीतिक माहौल में गर्मी आ गयी है. जोहार यात्रा पर निकले राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने अभी इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार करते हुए कहा कि वह वक्त आने पर उचित बात कहेंगे.