झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के तेजतर्रार नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन अपने नए बयान के चलते विवादों में घिर गए हैं. दुमका में प्रमंडल स्तरीय बैठक में बसंत सोरेन ने कहा कि अगर कार्यकर्ताओं की बात बीडीओ, सीओ, एसपी नहीं सुन रहे हैं तो ऐसे अधिकारियों पर जूता चप्पल से नहीं मार पा रहे हैं तो यह अफसोस की बात है.
बसंत सोरेन ने यह बयान तब दिया गया जब मंच पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित जिला के आला अधिकारी मौजूद थे. बसंत के बयान से सभी सकते में आ गए.
दुमका में आयोजित झामुमो के प्रमंडल स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए स्थानीय विधायक बसंत सोरेन ने कहा कि अगर कार्यकर्ताओं की बात बीडीओ, सीओ और एसपी नहीं सुन रहे हैं तो अफसोसजनक बात है. दुमका क्लब में आयोजित बैठक में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी मौजूद थे.
बसंत बोले कि जामताड़ा के जिलाध्यक्ष ने अपनी पीड़ा रखते हुए कहा कि उनकी बात बीडीओ, सीओ, एसपी नहीं सुन रहे हैं. यह हमारे लिए अफसोसजनक है. क्योंकि आज आपकी सरकार है जबकि अलग राज्य आंदोलन के समय झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन हमेशा कहा करते थे कि यदि थानेदार झामुमो कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनता है तो उसे जूता-चप्पल से मारो.
देखें: आजतक LIVE TV
बसंत सोरेन ने कहा कि आज परिस्थितियां अलग हैं. राज्य में झामुमो की सरकार है. इस सरकार में यदि झामुमो कार्यकर्ताओं की बात बीडीओ, और एसपी नहीं सुन रहे हैं. उनका काम नहीं कर रहे हैं तो यह हमारे लिए दुर्भाग्यजनक बात है और यह भी दुर्भाग्य है कि आप ऐसे अधिकारियों को जूता-चप्पल से नहीं मार पा रह है. विधायक बसंत सोरेन जब भाषण दे रहे थे, उस वक्त मुख्यमंत्री मंच पर मौजूद थे और यह भाषण सुनकर थोड़ी देर के लिए वह भी सकते में आ गए.
हालांकि बाद में पत्रकारों ने जब मुख्यमंत्री से बसंत सोरेन के बयान के संबंध में पूछा तो उन्होंने कहा कि झामुमो आंदोलन की पार्टी है. बयान को आप किस रूप से लेते हैं यह आपके विवेक पर निर्भर करता है. पार्टी फोरम में कार्यकर्ता अपनी पीड़ा रखते ही हैं. अगर उनकी बात पदाधिकारी अनसुना कर रहे हैं तो हम ऐसे अधिकारियों को इसकी इजाजत नहीं देंगे.
(दुमका से मृत्युंजय पांडे के इनपुट्स के साथ)