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शराब बेचने के मुद्दे पर एक नहीं झारखंड की बीजेपी सरकार, झेल रही अन्तर्विरोध

झारखण्ड सरकार के खुद के द्वारा शराब बेचने का निर्णय अब विवादों में घिरता नजर आ रहा है. इस निर्णय का एक ओर जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सांसद और विधायक भी खुलेआम अपनी असहमति जता रहे हैं

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झारखंड सरकार (प्रतीकात्मक तस्वीर)
झारखंड सरकार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

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झारखण्ड सरकार के खुद के द्वारा शराब बेचने का निर्णय अब विवादों में घिरता नजर आ रहा है. इस निर्णय का एक ओर जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ पार्टी के सांसद और विधायक भी खुलेआम अपनी असहमति जता रहे हैं. बीजेपी के रांची लोकसभा सीट से सांसद रामटहल चौधरी का कहना है कि शराब पीने की वजह से लोग मौत का शिकार हो रहे हैं जबकि सरकार को शराब बेचने की पड़ी है.

कुछ विधायक भी इसके विरोध में
राज्य के शहरी विकास मंत्री सीपी सिंह और खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय सरकार के इस निर्णय से जुदा राय रखते हैं. इनके अलावा कुछ और विधायक भी फैसले के खिलाफ हैं. पार्टी के पूर्व विधायक राजा पीटर का कहना है कि सरकार शराब की दुकानों को खुलवाने के बजाय इन दुकानों में सस्ती जेनेरिक दवाई बेचने के बारे में विचार करें. मंत्रियों और विधायकों के विरोध झेल रही सरकार के इस निर्णय का ग्रामीण इलाकों में भी भारी विरोध होने की संभावना है. खासतौर पर शराबबंदी के लिए मुहीम चला रही ग्रामीण महिलाएं सरकार के इस कदम से बेहद नाराज हैं.

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क्या है निर्णय
झारखण्ड सरकार के कैबिनेट में लिए फैसले के मुताबिक आगामी 1 अगस्त से वेबरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के जरिए सरकार शराब बेचेगी. सरकार का मानना है कि इससे सरकार के कोष में राजस्व मद में 1500 करोड़ आएंगे. जबकि वर्तमान में यह आंकड़ा करीब 800 करोड़ का है.

वर्तमान में राज्य में करीब 1400 लाइसेंसी शराब की दुकानें हैं. झारखंड सरकार अब तक लॉटरी सिस्टम के जरिए शराब विक्रेताओं का चयन करती थी. लेकिन अब लॉटरी सिस्टम खत्म करते हुए सरकार ने खुद शराब बेचने का फैसला किया है.

मौजूदा व्यवस्था के तहत सरकार शराब की दुकानों की नीलामी करती है. इसके लिए लाइसेंस लेने वाले लोगों से दो महीने का एडवांस और एक महीने के सिक्योरिटी मनी ली जाती है.

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