भारत सरकार के एक संभावित फैसले को लेकर झारखंड के सभी बीजेपी सांसद गोलबंद हो गए हैं. यह फैसला रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचईसी) के निजीकरण के संकेत देने से जुड़ा है.
रांची के सांसद रामटहल चौधरी की अगुवाई में झारखंड के 9 भाजपा सांसदों ने भारी उद्योग एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गंगाराम गीते और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपना विरोध दर्ज कराया है. ये सांसद हैं विष्णु दयाल राम, रवींद्र कुमार राय, महेश पोद्दार, सुनील सिंह, लक्ष्मण गिलुआ, पीएन सिंह, विद्युत वरन महतो और रवींद्र कुमार पांडेय.
क्या लिखा है चिठ्ठी में
इस पत्र में झारखंड के सांसदों ने कहा है कि एचईसी एशिया के सबसे बड़े इंजीनियरिंग प्रतिष्ठानों में एक है. इस कारखाने की स्थापना के लिए यहां के किसानों ने हजारों एकड़ जमीन दी थी. उन्होंने इस उम्मीद में जमीन दी थी कि उन्हें कॉर्पोरेशन में रोजगार मिलेगा, उनके क्षेत्र का विकास होगा, उनके जीवन में बदलाव आएगा. अगर सरकार अपने इस फैसले पर आगे बढ़ी तो क्षेत्र में न केवल बेरोजगारी बढ़ेगी बल्कि सरकार के प्रति जनता का विश्वास खत्म हो जाएगा.
क्या है एचइसी का इतिहास
करीब-करीब 21 लाख वर्ग मीटर में फैले और सोवियत रूस की मदद से 1958 में स्थापित एचईसी देश भर के सरकारी स्टील उद्योगों के साथ-साथ, खनन, रेलवे, बिजली, रक्षा, अंतरिक्ष अनुसंधान, परमाणु और सामरिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए उपकरण की आपूर्ति करती है. झारखंड के इस सबसे बड़े इंजीनियरिंग संस्थान में स्टील मेल्टिंग से लेकर, कास्टिंग, फोर्जिंग, फैब्रिकेशन, मशीनिंग, असेंबलिंग और टेस्टिंग तक की सुविधा उपलब्ध है.
एचईसी का खुद का रिसर्च एंड प्रोडक्ट डेवलपमेंट विंग है, जो अपने ग्राहकों की जरूरत के अनुरूप प्रोडक्ट तैयार करता है. इसकी विशेषज्ञता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां मंगल यान के पूर्जे, मिसाईल के पार्ट्स और उपग्रह प्रक्षेपण के लिए उपयोग में लाए जाने वाले लॉन्चिंग पैड्स का भी निर्माण होता है. वर्तमान में यह संस्थान घाटे में चल रहा है. समय-समय पर इसके आधुनिकीकरण के लिए भी मांग उठती रही है.