विधायक अनिल मुर्मू के निधन के बाद पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में सूबे के दोनों बड़े राजनितिक दलों की साख दांव पर लगी है. इस चुनाव में जहां एक ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को अपनी परंपरागत सीट को बचाने की चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ सूबे की रघुवर दास सरकार भी इस सीट पर परचम लहराकर अपने विकास के दावे को पुख्ता करने की कोशिश में है. दरअसल इस चुनाव में जेएमएम की मुश्किलें ज्यादा हैं.
दिवंगत विधायक की पत्नी ने दावा ठोंका
इस सीट पर दिवंगत विधायक की पत्नी ने दावा ठोंक कर जेएमएम को बैकफुट पर ला दिया है. दरअसल इस सीट पर जेएमएम बसंत सोरेन को खड़ा करने का मन बना चुकी थी, जो शिबू सोरेन के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई हैं. वहीं टिकट की आस में बीजेपी छोड़ चुके स्थानीय कद्दावर नेता स्टीफन मरांडी भी जेएमएम से टिकट की आस में थे. लेकिन टिकट पाने की भीड़ को देखते हुए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
बीजेपी ने मुर्मू पर लगाया दांव
वहीं बीजेपी ने भी जेएमएम में मचे इस घमासान को देखते हुए हेमलाल मुर्मू को टिकट दिया है. मुर्मू की भी स्थानीय जनता के बीच खासी पकड़ है. ऐसे में अगर जेएमएम ने फैसला लेने में कोई गफलत या जल्दीबाजी दिखाई तो उसे अपने वोटों के बंटवारे का दंश झेलना पड़ सकता है.
जेएमएम का गढ़ रहा है लिट्टीपाड़ा
संथालपरगना का नक्सलग्रस्त लिट्टीपाड़ा जेएमएम की परंपरागत सीट रही है. जेएमएम करीब चालीस साल से यहां लगातार जीत दर्ज करती रही है. इधर, बीजेपी जेएमएम के इस गढ़ में सेंध लगाने की जुगत में लगी है. पार्टी इसे एक मौके के रूप में देखते हुए इस उपचुनाव को जीतने के लिए एड़ी-चोटी लगाने को तैयार है. गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने गठबंधन के तहत यह सीट लोजपा को सौंप दी थी.