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नीतीश के नक्शेकदम पर हेमंत सोरेन, पीएम मोदी से जाति जनगणना की मांग के पीछे क्या गणित है

बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तर्ज पर अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र से मिलकर जातिगत जनगणना कराने की मांग रखेंगे. बिहार की तरह झारखंड में भी सत्तापक्ष और विपक्ष एकमत है, क्योंकि झारखंड में ओबीसी समुदाय एक अहम फैक्टर है.

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झारखंड सीएम हेमंत सोरेन
झारखंड सीएम हेमंत सोरेन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • झारखंड में भी जातिगत जनगणना की मांग उठी
  • हेमंत सोरेन जाति जनगणना पर पीएम से मिलेंगे
  • झारखंड में ओबीसी आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बना है

देश में इसी साल 2021 में होने वाली जनगणना के साथ-साथ जातियों की जनगणना की मांग भी तेजी से उठ रही है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तर्ज पर अब झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र से मिलकर जातिगत जनगणना कराने की मांग रखेंगे. इसके लिए हेमंत सोरेन ने 12 से 20 सितंबर के बीच पीएम मोदी से मुलाकात का समय मांगा है. 

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र के चौथे दिन बुधवार को सदन में कहा कि जातिगत जनगणना की जानी चाहिए. सीएम ने कहा कि जातिगत जनगणना और पिछड़ों के आरक्षण पर हमारी सरकार ने सकारात्मक कदम बढ़ाया है. जेएमएम विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के द्वारा सदन में जातिगत जनगणना पर उठाए गए सवाल के बाद हेमंत सोरेन ने इसकी घोषणा की. 

झारखंड समेत पूरे देश में जातिगत जनगणना हो, इसको लेकर हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को बकायदा पत्र भी लिखा है. पत्र के माध्यम से कहा गया कि मेरे नेतृत्व में 9 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल आपसे मिलना चाहता है. भेंट कर जाति आधारित जनगणना कराने से संबंधित मांग पत्र सौंपना चाहते हैं. इसके लिए तारीख और समय देने की अपील पीएम मोदी से की गई है.

केंद्र सरकार भले ही जातिगत जनगणना पर हामी भरने से दूर भाग रही है, लेकिन झारखंड में बीजेपी, जेएमएम सहित सभी दल एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में शामिल जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी लगातार इस मांग पर अपनी आवाज बुलंद करते नजर आ रहे हैं, लेकिन बीजेपी और आजसू जैसे दल भी जातिगत जनगणना को लेकर सहमत हैं.  

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दरअसल झारखंड की सियासत में जातिगत जनगणना का अपना अलग गुणा-भाग है. इस मांग के पीछे ओबीसी आरक्षण का एक बड़ा राज छुपा हुआ है. ओबीसी मोर्चा के दावों पर गौर करें, तो राज्य में कुल आबादी का 52 प्रतिशत सिर्फ पिछड़े वर्ग के तहत आने वाले लोगों का है. इसके बावजूद राज्य में ओबीसी को सिर्फ 14 फीसदी ही आरक्षण है. 

ओबीसी के आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने की मांग उठ रही है. सत्ताधारी दल से लेकर विपक्षी खेमे में भी इसके पैरोकार की कोई कमी नहीं है.  ओबीसी वोट बैंक पर अब तक बीजेपी दावा करती आ रही है, लेकिन आरक्षण का कार्ड खेल कर सत्ताधारी दल बीजेपी के वोटबैंक में सेंधमारी करने की कवायद में जुटा है. 

आजसू विधायक सुदेश महतो ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के पीएम से मिलने जाने से पहले राज्य में सर्वदलीय बैठक की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर इस पर सर्वदलीय चर्चा जरूरी है. मॉनसून सत्र के दौरान ये पहला मौका था, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक सुर में सुर मिलाते दिखे. ऐसे में अब देखना होगा कि कब पीएम नरेंद्र मोदी का बुलावा आता है, और कब झारखंड से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जातिगत जनगणना और पिछड़ों के आरक्षण के मुद्दे पर दिल्ली कूच करते हैं.
 

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