
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद जो हादसा हुआ, इसमें कई लोगों की जानें गईं हैं. इस त्रासदी में दूसरे राज्यों से उत्तराखंड काम करने गए मजदूर भी शिकार हो गए. झारखंड के मजदूर भी शिकार हो गए, जो काम करने के लिए उत्तराखंड के चमोली गए थे. इनमें कई लोगों के शव अब भी नहीं मिले हैं.
झारखंड के रामगढ़ जिले के चोकाद गांव के कुछ मजदूर चमोली त्रासदी की चपेट में आ गए. अब परिजन और गांव वालों ने शव नहीं मिलने के बाद लापता मजदूरों का पुतला बना कर उनका दाह संस्कार किया.
दरअसल, चमोली में रामगढ़ जिले के गोला प्रखंड क्षेत्र के 4 मजदूर लापता हो गए थे. मजदूरों के लापता होने के बाद परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था. परिजनों को उम्मीद थी कि लापता परिजन मिल जाएंगे. इसी उम्मीद में उनके परिवार जी रहे थे.
लेकिन उत्तराखंड सरकार द्वारा लापता मजदूरों को मृत घोषित कर दिया गया. घोषणा के बाद परिजनों की उम्मीद टूट कर बिखर गई. लिहाजा, चोकाद निवासियों ने तय किया कि प्रवासी मजदूरों का पुतला बनाकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया जाए.
इस घटना के बाद से इनके घर में मातम छाया हुआ है. परिजनों के आंसू भी अब सूख गए हैं. उन्हें अंदर ही अंदर अपनों के खोने का दर्द सता रहा है.
उत्तराखंड में लापता हुए मजदूर मिथलेश महतो के पिता राजा राम महतो का कहना है कि मेरा बेटा उत्तराखंड काम करने गया था. काफी खोजबीन किया पर कुछ अता पता नहीं चला, अंत में हार मान कर पुतला से ही अंतिम संस्कार करेंगे.
चमोली त्रासदी में अपने पति को गंवाने वालीं नीमा देवी कहती हैं कि मेरी छोटी बच्ची है. देखभाल कौन करेगा. कोई सरकारी मदद नहीं मिली है. केवल सब आश्वासन देते हैं.
वहीं गोला बीडीओ अजय रजक ने कहा कि लापता मजदूरों के परिजनों को हर संभव मदद दिलाया जाएगा. हम लोग लगातार परिजनों से संपर्क बनाये हुए हैं. आपदा प्रबंधन और वरीय अधिकारियों द्वारा निर्देश मिलने पर आगे मदद की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
गोला से झूलन अग्रवाल के साथ...