झारखंड में चंपई सोरेन सरकार का कैबिनेट विस्तार शुक्रवार को हुआ. कुल 8 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) सुप्रीमो शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे और हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने शुक्रवार को सात अन्य लोगों के साथ झारखंड में चंपई सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री पद की शपथ ली.
कांग्रेस ने तमाम पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है. यानी हेमंत कैबिनेट में शामिल तमाम चेहरे फिर से मंत्री बने. कांग्रेस की तरफ से बन्ना गुप्ता, बादल पत्रलेख और रामेश्वर ओरन ने मंत्री पद की शपथ ली. हालांकि कांग्रेस के 10 विधायकों ने किसी भी नए चहेरे को मौका नहीं दिए जाने पर भारी विरोध जताया. कांग्रेस के इन विधायकों ने रांची के सर्किट हाउस में बैठक की और अपनी भावनाओं से पार्टी के प्रभारी अब्दुल गनी मीर को अवगत करवाया.
इन विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह का बायकॉट करने की भी घोषणा की थी लेकिन बाद में आलमगीर आलम और अब्दुल गनी मीर से वार्ता के बाद वो मान गए. कांग्रेस विधायको की मांग है कि एक व्यक्ति को एक ही पद दिया जाए. इधर, जेएमएम ने भी पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया. सिर्फ जोभा मांझी की जगह दीपक बिरुआ को जगह दी गई है. वहीं बसंत सोरेन की एंट्री हेमंत सोरेन की जगह हुई है.
आश्चर्यजनक रूप से बैद्यनाथ राम जो दलित हैं और उनका नाम मंत्री पद के शपथ लेने वालों में शामिल किए जाने के बाद आखिरी में काट दिया गया.
पहली बार ऐसा हुआ है कि मिनट टू मिनट राजभवन के कार्यक्रम में प्रोग्राम प्रकाशित होने साथ ही सर्कुलर जारी होने के बाद किसी का नाम यूं काटा गया हो. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने इसे दलितों का अपमान बताया है.
इससे पहले 2 फरवरी को 67 वर्षीय चंपई सोरेन ने राज्य के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जबकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता आलमगीर आलम और राजद नेता सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली थी. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद 31 जनवरी को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था.
राज्य में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन के 81 सदस्यीय विधानसभा में 47 विधायक हैं – जेएमएम-29, कांग्रेस-17 और राजद का एक विधायक. बीजेपी के पास 26 और आजसू पार्टी के पास तीन विधायक हैं. दो निर्दलीय विधायकों के अलावा राकांपा और सीपीआई (एमएल) के एक-एक विधायक हैं. एक मनोनीत सदस्य भी है.