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नक्सली कैंपों में जबरन ले जाए गए बच्चों की हो रही है घर वापसी

झारखंड के घोर नक्सलग्रस्त ग्रामीण इलाकों से जबरन नक्सली कैंपों में ले जाए गए बच्चों में से अधिकतर की घर वापसी हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर बच्चे लातेहार, लोहरदगा व गुमला के नक्सल कैंपों में ले जाए गए थे. इन बच्चों को इनामी माओवादी नकुल यादव और मदन यादव के दस्ते में रखा गया था. यह बात झारखंड के आईजी मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजे एक जबाब में कही.

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नक्सली बच्चों की वापसी
नक्सली बच्चों की वापसी

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झारखंड के घोर नक्सलग्रस्त ग्रामीण इलाकों से जबरन नक्सली कैंपों में ले जाए गए बच्चों में से अधिकतर की घर वापसी हो चुकी है. इनमें से ज्यादातर बच्चे लातेहार, लोहरदगा व गुमला के नक्सल कैंपों में ले जाए गए थे. इन बच्चों को इनामी माओवादी नकुल यादव और मदन यादव के दस्ते में रखा गया था. यह बात झारखंड के आईजी (मानवाधिकार) नवीन कुमार सिंह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजे एक जबाब में कही.

आयोग ने बाल दस्ते में शामिल बच्चों पर मांगी थी जानकारी

दरअसल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पिछले महीने झारखंड पुलिस से पूछा था कि सूबे के लातेहार, गुमला और लोहरदगा जिलों के 142 बच्चो के नक्सली कैम्प में गए हैं. वर्तमान में उनके बारे में क्या जानकारी है और फिलहाल कितने बच्चे नक्सलियों के तथाकथित बाल दस्ते में हैं.  झारखंड पुलिस ने अपने रिपोर्ट में यह बात कही है कि 40 बच्चे अब भी नक्सलियों के दस्ते में शामिल हैं. उन्हें वापस लाने के प्रयास जारी हैं.

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अधिकतर बच्चे बेहद पिछड़े इलाकों से है

आइजी मानवाधिकार ने जवाब में कहा है कि बाल दस्ते में शामिल ये बच्चे बेहद पिछड़े इलाके के हैं. अपने रिपोर्ट में उन्होंने इस बात की जरूरत पर बल दिया है कि इन इलाकों में पुलिसिया अभियान के साथ-साथ विकास योजना भी सुचारु तरीके से चलाने की जरूरत है. अबतक किये गए पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत इन दस्तों से वापस लौटी बच्चियों का नामांकन उस इलाके में मौजूद कस्तूरबा विद्यालय में कराया जा रहा है. गौरतलब है कि नक्सली अक्सर इन इलाकों में मौजूद विद्यालयों को फरमान जारी कर उनके बच्चे नक्सलियों के दस्ते में भेजने की मांग करते रहते हैं.

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