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धर्म परिवर्तन पर झारखंड सरकार सख्‍त, रघुबर दास ने दी चेतावनी

झारखंड सरकार इन दिनों अवैध धर्म परिवर्तन को लेकर काफी सख्‍त नजर आ रही है. बोकारो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मेलन में सीएम रघुबर दास ने धर्म परिवर्तन में लिप्त संस्थाओं और लोगों को कड़ी चेतावनी दी है. प्रदेश के गांवों और बेहद दुर्गम इलाकों में रहनेवाले आदिवासियों के कई संगठनों द्वारा प्रलोभन से अवैध धर्म परिवर्तन किए जाने के मामले सामने आते रहे हैं.

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अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मलेन में सीएम रघुवर दास
अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मलेन में सीएम रघुवर दास

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झारखंड के बोकारो में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मलेन के बहाने राज्य सरकार ने धर्म परिवर्तन में लिप्त संस्थाओं और लोगों को कड़ी चेतावनी दी है. सम्मलेन में मुख्यमंत्री रघुबर दास ने कहा कि लोग संताली संस्कृति को नष्ट करने वाले लोगों की पहचान करें और ऐसे लोगों से सावधान भी रहें.

दरअसल मुख्यमंत्री इन दिनों जब भी आदि‍वासी इलाकों में जाते है लोगों को ऐसी ही हिदायतें दे रहे हैं. इतना ही नहीं, वे धर्मांतरण के बारे में बापू के आदर्शों की दुहाई देना भी नहीं भूलते.

सरकार की मानें तो झारखंडके गांवों और बेहद दुर्गम इलाकों में रहनेवाले आदिवासी विभिन्न संस्थाओं के द्वारा दिए जा रहे प्रलोभन से अवैध धर्म-परिवर्तन का शिकार बन रहे हैं.

वहीं, कुछ जगहों पर मिशनरियों द्वारा जमीन पर अवैध कब्जे की भी बात सामने आ रही हैं. सरकार का यह भी मानना है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में काम कर रहे कुछ ईसाई संगठन गैर-कानूनी कार्यों में लिप्त हैं.

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कई मामलों में ईसाई मिशनरियों की भूमिका संदिग्ध

दरअसल बीते कुछ समय से सरकार और ईसाई मिशनरियां धर्म-परिवर्तन समेत कई मुद्दों पर आमने-सामने दिखाई दिए हैं. चाहे हाल के साल में सामने आई पत्थलगड़ी की समस्या हो या मिशनरियों द्वारा अवैध तरीके से बच्चे को बेचने का मामला हो, इन सभी मामलों में सरकार की जांच के दौरान ईसाई मिशनरियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई.

वहीं, सरकार के द्वारा नए बनाए धर्म परिवर्तन निषेध कानून की वजह से भी मिशनरियां आशंकित हैं. दरअसल इस बिल के कई प्रावधान काफी कड़े हैं, जिसमें जुर्माने से लेकर कई साल तक की कैद भी शामिल हैं.

गौरतलब है कि राज्य में अक्सर प्रलोभन देकर लोगों के धर्म-परिवर्तन कराए जाने की खबरें आती रहती हैं. दूसरी तरफ ईसाई मिशनरियों और चर्च का कहना है कि सरकार उनपर बेवजह का आरोप लगा रही है.

वहीं, विपक्ष भी इस मुद्दे पर चर्च के पक्ष में खड़ा हो गया है और सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता. विपक्ष की मंशा सरकार और चर्च के बीच की तनातनी को देखते हुए ईसाई मतों को अपने पक्ष में करने की भी है. गौरतलब है कि झारखंड में कुल 26 फीसदी आबादी आदिवासियों की है. जिनमें से चार फीसदी के करीब ईसाई समुदाय से हैं.

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आरोप है कि झारखंड के आदिवासी बहुल दुमका, सिमडेगा, खूंटी जैसे जिलों में मिशनरियां जबरदस्‍ती धर्म परिवर्तन करवाने में जुटी हैं. इस सिलसिले में कई मुकदमे भी स्थानीय थानों में दर्ज हुए हैं.

ऐसे में सरकार और चर्च के बीच की तनातनी लगातार बढ़ रही है. इससे निपटने के लिए सरकार ने राज्य में धर्म-परिवर्तन निषेध बिल पारित करवाकर इसे रोकने की दिशा में कदम उठाया है.

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