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रांची की अदालत में सीता सोरेन के खिलाफ शिकायतवाद दायर, पूर्व PA के परिवार ने लगाए गंभीर आरोप

सीता सोरेन के पूर्व निजी सचिव के परिवार ने रांची की एक अदालत में शिकायतवाद दायर कर उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. रीना घोष ने अपने शिकायतवाद में कहा कि उनके बड़े भाई देवाशीष घोष को साजिश के तहत गिरफ्तार कराया गया है. उन्होंने सीता पर जबरन तीन लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर कराने का भी आरोप लगाया है.

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सीता सोरेन. (फाइल फोटो)
सीता सोरेन. (फाइल फोटो)

सोरेन परिवार की बड़ी बहू और सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन के खिलाफ उनके पूर्व निजी सचिव देवाशीष घोष के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रांची की अदालत में शिकायतवाद दर्ज कराया है. कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 28 अप्रैल को रीना घोष का बयान दर्ज कराने का निर्देश दिया है.

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दरअसल, सीता सोरेन के पीए को उन पर गन तानने और हमले की कोशिश के आरोप में 7 मार्च को धनबाद से गिरफ्तार किया गया था. लेकिन इस परिवारों के गंभीर आरोपों के बाद मामले ने नया मोड़ ले लिया है.

रीना घोष ने अपने शिकायतवाद में कहा कि उनके बड़े भाई देवाशीष घोष को साजिश के तहत गिरफ्तार कराया गया है. उन्होंने सीता सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह (सीता सोरेन) जामताड़ा में चुनाव के दौरान पानी की तरह पैसे बहाने से नाराज थीं.

उन्होंने कहा कि वह चुनाव हारने के बाद देवाशीष से पैसे वापस मांगने का दबाव बनाने लगीं. इसके बाद उन्होंने अपने सहयोगी और बॉडी गार्ड के साथ मिलकर 7 मार्च को धनबाद के सरायढेला स्थित सोनोटेल होटल से देवाशीष को जबरन उठा लिया और दबाव बनाकर तीन लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करा लिए. इसके बाद उनकी गाड़ी की चाभी, एटीएम कार्ड, गाड़ी में रखे एक्सेस बैंक की चेक बुक, जमीन का डॉक्यूमेंट समेत कई अहम डॉक्यूमेंट्स छीन लिए.

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रीना ने ये भी आरोप लगाया कि गाड़ी ट्रांसफर करने के लिए फॉर्म 29 और फॉर्म 30 पर भी जबरदस्ती साइन करा लिए. उनका कहना है कि उन्होंने बैंक से फंड ट्रांसफर करने, डीटीओ ऑफिस को गाड़ी की ऑन रशिष ट्रांसफर करने और रजिस्ट्रार से जमीन ट्रांसफर करने पर रोक लगवा दी है. 

आपको बता दें कि सीता सोरेन ने जामताड़ा से बीजेपी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गईं. इससे पहले उन्होंने दुमका से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गईं. इससे पहले उन्होंने सोरेन परिवार पर महत्व ना देने और ठीक से व्यवहार ना करने का आरोप लगाते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़ दिया था.

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