झारखंड में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और जेएमएम के बीच गठबंधन पर सहमति बन चुकी है और दोनों दलों के नेताओं ने राज्य में सरकार बनाने के पहलुओं पर चर्चा की. गठबंधन की घोषणा संयुक्त बयान के जरिये जल्दी ही की जा सकती है. गौरतलब है कि झारखंड में 18 जनवरी से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है.
जेएमएम द्वारा 8 जनवरी को मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लिये जाने के बाद वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया. प्रदेश में सरकार बनाने या राष्ट्रपति शासन की अवधि बढ़ाने के बारे में फैसला 18 जुलाई से पहले लेना होगा.
अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जेएमएम नेता शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन की संभावना प्रबल मानी जा रही है. वह गुरुवार सुबह कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे जहां कांग्रेस महासचिव एवं प्रदेश मामलों के प्रभारी बी के हरिप्रसाद से उनकी लंबी बातचीत हुई.
पिछले कुछ दिनों से हेमंत की सोनिया गांधी से मुलाकात की खबरें हैं लेकिन अभी तक उन्हें सोनिया की ओर से समय नहीं मिला है.
बताया जाता है कि जब वह हरिप्रसाद से मिलने आये तब भी उन्हें कांग्रेस मुख्यालय में करीब एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा जिसके बाद गठबंधन को लेकर गड़बड़ी की अटकलें शुरू हो गयीं.
हालांकि दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने इस तरह की धारणाओं को खारिज करते हुए कहा कि गठजोड़ की प्रबल संभावना है.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस इस बारे में जेएमएम से स्पष्ट आश्वासन चाहती है कि नई सरकार को छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त होगा. कांग्रेस विधायक दल के नेता राजिंदर प्रसाद सिंह को उप मुख्यमंत्री बनाये जाने की भी चर्चाएं जोरों पर हैं लेकिन कांग्रेस की ओर से इस तरह का फिलहाल कोई संकेत नहीं दिया गया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और झारखंड से लोकसभा में कांग्रेस के एक मात्र सदस्य सुबोध कांत सहाय ने भी हरिप्रसाद से मुलाकात की. सहाय ने कहा कि कांग्रेस के लिए सरकार बनाने से ज्यादा अगले लोकसभा चुनावों के लिहाज से गठबंधन जरूरी है.
जेएमएम के सूत्रों ने कहा कि पार्टी 14 लोकसभा सीटों में से 10 सीटें कांग्रेस को देने के लिए तैयार हो गयी है जिसमें कांग्रेस को आरजेडी को भी संतुष्ट करना होगा.
हेमंत सोरेन ने कांग्रेस नेताओं से अपनी पिछली मुलाकातों के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन तब तक नहीं बन सकता, जब तक राज्य में कांग्रेस-जेएमएम गठबंधन की सरकार नहीं बनाई जाए. सूत्रों ने कहा कि दोनों दल एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम पर भी काम करेंगे.
पिछले लोकसभा चुनाव दोनों दलों ने अलग-अलग लड़े थे. जिसमें कांग्रेस को एक और झामुमो को दो सीटों से संतोष करना पड़ा था. इससे पहले 2004 के लोकसभा चुनावों में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस को छह वहीं झामुमो को चार सीटों पर सफलता मिली थी. तब आरजेडी और भाकपा ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और क्रमश: दो और एक सीटें जीती थीं. इस तरह तब यूपीए के खाते में प्रदेश से 12 लोकसभा सदस्य रहे.
81 सदस्यीय विधानसभा में जेएमएम के 18 और कांग्रेस के 13 सदस्य हैं. उन्हें 11 और विधायकों का समर्थन चाहिए होगा. राज्य में आरजेडी के पांच विधायक हैं. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने जेएमएम और कांग्रेस दोनों को नई सरकार को समर्थन देने का भरोसा दिलाया है.
भाकपा-एमएल (एल), मार्क्सिस्ट कार्डिनेशन पार्टी, झारखंड पार्टी (इक्का), झारखंड जनाधार मंच और जय भारत समता पार्टी के विधानसभा में एक-एक सदस्य हैं और एक निर्दलीय विधायक भी है.
राज्य में उस समय राजनीतिक अस्थिरता आ गई थी जब आठ जनवरी को बीजेपी के गठबंधन सहयोगी जेएमएम ने राज्यपाल को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से समर्थन वापसी का ऐलान किया था जिसके बाद बीजेपी नीत सरकार अल्पमत में आ गई थी.
साल 2000 में बिहार से अलग प्रदेश बनाये जाने के बाद से झारखंड अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा है और यहां 2009 और 2010 में भी राष्ट्रपति शासन लग चुका है.