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झारखंड: कठपुतली शो में कोरोना पर संदेश, लोगों को कोविड प्रोटोकॉल सिखा रहे पपेट

कोरोना काल में जागरूकता ही कोविड संक्रमण से बचवा का सबसे कारगर उपाय है. झारखंड की राजधानी रांची के कलाकार चंद्रदेव सिंह ने कोविड पर एक पपेट शो तैयार किया है, जिसके जरिए वे महामारी पर लोगों को सजग कर रहे हैं.

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लोकप्रिय हो रहा है रांची का पपेट शो
लोकप्रिय हो रहा है रांची का पपेट शो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कठपुतलियां सिखा रही हैं कोरोना प्रोटोकॉल
  • कोरोना संक्रमण के बीच दी जा रही जानकारी

झारखंड में कोरोना संकट लगातार पांव पसार रहा है. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और कोरोना नियमों को लेकर जागरूक करने की अलग-अलग तरीके से मुहिम चलाई जा रही है. राजधानी रांची के प्रसिद्ध पपेट शो आर्टिस्ट चंद्रदेव सिंह ने कोरोना वायरस महामारी पर एक पपेट शो तैयार किया है. इस शो में कोरोना से बचाव और इसके दुष्परिणाम पर जागरूकता को लेकर एक बेहतरीन संदेश तैयार किया गया है. इस शो के जरिए उनके पपेट लोगों को अनोखे अंदाज में जागरूक कर रहे हैं, जिसे लोग बेहद पसंद कर रहे हैं.

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कोरोना संक्रमण से जूझ रहे देश में ऐसे शोज जागरूकता बढ़ाने में मददगार हैं और इन्हें बड़ी तादाद में पसंद भी करते हैं. झारखंड के अलावा देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनका पपेट शो काफी पसंद किया जाता है. ऐसे में वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर भी चंद्रदेव सिंह ने अपने पपेट शो के जरिए एक जागरूकता भरा संदेश कार्यक्रम बनाया है. 

इस शो के जरिए वे आम लोगों को कोरोना महामारी की भयावह स्थिति के बारे में जानकारी देते हैं. वहीं, इस शो में कोरोना वायरस का भी एक चरित्र गढ़ा गया है, जो इसके दुष्परिणाम और डर को लोगों को समझाता है. चंद्रदेव सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई पपेट शो का आयोजन कर चुके हैं. चंद्रदेव सिंह अपने पपेट शो के जरिए लोगों का मनोरंजन भी कर रहे हैं.

 

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पपेट शो से कोरोना पर जागरूकता संदेश



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क्या है कठपुतली आर्ट?

कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेले जाने वाला एक मनोरंजक कार्यक्रम है. विश्व भर में इसे पपेट शो के नाम से ही जाना जाता है. कठपुतलियों को अलग-अलग तरह के गुड्डे-गुड्डियों को पात्रों के रूप में सजाकर बनाया जाता है. इसका नाम कठपुतली इस वजह से भी पड़ा क्योंकि पहले लकड़ी से ही पुतला बनाया जाता था और लकड़ी को काठ भी कहते हैं. इसीलिए इन पपेट का नाम कठपुतली पड़ा. आज भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पपेट शो की मांग बनी हुई है.


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