झारखंड में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि सक्रिय मरीजों की संख्या में तो बढ़ोतरी हो ही रही है, इसके अलवा स्वास्थ्य सेवाओं की पोल भी खुलती दिख रही है. अब इन सब के ऊपर लापरवाही की भी ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जिस वजह से कोरोना काल में लोगों की जिंदगी पर बन आई है. ताजा मामला हजारीबाग के मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है, जहां पर कहने को 38 वेंटिलेटर हैं, लेकिन काम करने वाले सिर्फ तीन.
अस्पताल के पास 38 वेंटिलेटर, 35 खराब
अस्पताल और जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले पर लगातार पर्दा डालने की कोशिश की है. उनकी तरफ से अपनी विफलताओं को लगातार छिपाने का प्रयास हुआ. लेकिन अब सच सामने आ गया है और पता चल गया है कि ये वेंटिलेटर पिछले एक महीने से खराब पड़े हैं, लेकिन इन्हें समय रहते ठीक करवाने की किसी ने सुध नहीं ली. जानकारी मिली है कि इन सभी वेंटिलेटर को पिछले साल खरीदा गया था. आंकड़ों में बात करें तो इस अस्पताल को एनटीपीसी की तरफ से पिछले साल दो किश्तों में कुल 12 वेंटिलेटर मिले थे, वहीं बचे 26 वेंटिलेटर तत्कालीन सिविल सर्जन कृष्ण कुमार के समय खरीदे गए थे.
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अस्पताल ने मामले को दबाने की कोशिश की
लेकिन हैरानी की बात ये है कि उन 38 वेंटिलेटर में से सिर्फ तीन ही काम कर पा रहे हैं, बाकी सभी सिर्फ अस्पताल की शोभा बढ़ाने के लिए बेड के साइड में रख दिए गए हैं. बताया गया है कि जब से इस मामले ने तूल पकड़ा है, अस्पताल प्रशासन लगातार खराब पड़े वेंटिलेटर को ठीक करने का प्रयास कर रहा है. लेकिन कभी समय रहते टेक्नीशियन नहीं मिल रहे हैं तो कभी कोई दूसरी समस्या आ रही है.
इस वजह से हजारीबाग में मरीज एक वेंटिलेटर के लिए भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं. वैसे बाहर की दुनिया के लिए अभी भी इस अस्पताल में वेंटिलेटर की कोई कमी नहीं है. वहां तो अभी भी यहीं माना जा रहा है कि अस्पताल के पास चालू हालत में 38 वेंटिलेटर हैं. लेकिन असल सच्चाई तो ये है कि अस्पताल प्रशासन की तरफ से लंबे समय तक इस लापरवाही को छिपाया गया है जिसका परिणाम लोग अब कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भुगत रहे हैं.
लापरवाही या फिर भ्रष्टाचार?
सूत्र बताते हैं कि कमीशन के चक्कर में प्रशासन द्वारा हाई फ्लो वाले ऑक्सीजन वेंटिलेटर खरीदे गए थे. उन वेंटिलेटर में भारी मात्रा में ऑक्सीजन की जरूरत होती है और ऑक्सीजन की उतनी व्यवस्था मेडिकल कॉलेज अस्पताल में है ही नहीं. ऐसे में अगर ये चालू भी हो गए तो उन्हें जितना ऑक्सीजन एक दिन में चाहिए उसकी आपूर्ति करना अभी के समय में संभव नहीं होने वाला है. (रिपोर्ट- सुमन सिंह के साथ सत्यजीत कुमार)