देश में इस समय कोरोना के मामले काफी कम हो गए हैं और कहा जा रहा है कि जल्द ही इसरी दूसरी लहर का प्रकोप शांत पड़ जाएगा. अब संक्रमित मरीज जरूर कम हो रहे हैं, लेकिन इस महामारी की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाला टीका अभी भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है. कई राज्यों में इस समय कोरोना वैक्सीन की कमी देखने को मिल रही है. कहीं पर वैक्सीन बर्बादी के आरोप भी लग रहे हैं. इस वजह से समाधान की जगह राजनीति जोर पकड़ रही है और वैक्सीन संकट गहराता जा रहा है.
झारखंड में कोरोना वैक्सीन हो रहीं वेस्ट?
ऐसा ही एक राज्य है झारखंड जहां पर कोरोना की स्थिति जरूर पहले से बेहतर हुई है, लेकिन अभी तक यहां पर टीकाकरण की रफ्तार काफी सुस्त दिखाई पड़ रही है. अब एक तरफ केंद्र की तरफ से दावा किया गया है कि झारखंड सरकार ने अब तक 37.3% वैक्सीन बर्बाद कर दी हैं, तो वहीं राज्य ने उल्टा केंद्र के आंकड़ों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. सरकार ने कहा है क मई का जो डेटा दिया उसमें झारखंड में वैक्सीन के बर्बादी का आंकड़ा 3.2 % दिखाया गया है तो 19 दिनों में 37.3% कैसे बर्बाद हुआ. अब इस विवाद के बीच आजतक ने जमीन पर जाकर स्थिति जानने का प्रयास किया.
जमीनी हकीकत क्या है?
जब आजतक कोरोना वैक्सीनेशन के एक ग्रामीण सेंटर पर पहुंचा तो वहां पर तेज बारिश के साथ-साथ लोगों का टीका लगवाने को लेकर जोश भी देखने को मिल गया. उस सेंटर की तरफ से बताया गया कि साढ़े 12 बजे तक ही 150 में से 80 से ज़्यादा लोग वैक्सीन लगवा चुके हैं. वहीं वहां मौजूद नर्स ने भी जानकारी दी कि रोज की 145 से 150 लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही हैं. अब इस ग्रामीण इलाके में जरूर स्थिति बेहतर दिखाई पड़ी, लेकिन जैसे ही रांची के धुर्वा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर का रुख किया गया तो वहां पर लोगों की परेशानी भी देखने को मिल गई और टीका का काम भी सुस्त रफ्तार से होता दिखा.
उस सेंटर पर आई एक महिला ने बताया कि कोरोना वैक्सीन लगवाना तो हर कोई चाहता है, लेकिन यहां पर स्लॉट मिलना ही सबसे बड़ी चुनौती रहती है. ऐसे में जैसे ही कोई स्लॉट बुक होता है, लोग टीका लगवाने के लिए आ जाते हैं. बुधवार को जब कई जगहों पर तेज बारिश का दौर देखने को मिल रहा है, ऐसी स्थिति में भी कई लोग इसलिए टीका लगवाने के लिए आ गए हैं क्योंकि आसानी से बुकिंग नहीं हो पा रही है.
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आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
वैसे वैक्सीन की कमी को लेकर सीएम सोरेन की तरफ से भी बयान दिया गया था. राज्य में दो दिनों पहले हेमंत सोरेन ने कहा था कि 18+ के लिए वैक्सीन का स्टॉक सिर्फ 3 दिनों का है जबकि 45 + के लिए 10 दिनों का.अभी तक राज्य में 49 लाख डोज़ वैक्सीन के कुल मिलाकर आए हैं जिसमे से 42 लाख से ज़्यादा खर्च हो चुके हैं. राज्य सरकार की तरफ से यहां तक कह दिया गया कि बर्बादी का आरोप लगाने के बहाने उनकी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने वैक्सीन की बर्बादी को शर्मनाक बताया है, साथ ही राज्य सरकार को इसके लिए कठघेरे में खड़ा कर दिया.